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70 साल के हुए नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्रियों के तौर पर इन 5 उपलब्धियों के लिए हमेशा याद रखेगा देश
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1- आर्टिकल 370
आर्टिकल 370 का जिक्र भाजपा जनसंघ के वक्त से कर रही है। यहां तक की जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी मुद्दे को लेकर अपनी जान गंवा दी थी। मुखर्जी को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के विरोध में आंदोलन चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। 23 जून 1953 को श्रीनगर में उनकी जेल में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। 70 साल से लटका यह मुद्दा हर बार भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल होता था। लेकिन मोदी 2.0 में आर्टिकल 370 निष्प्रभावी किया गया। 5 अगस्त को राज्यसभा से बिल पास हो गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित राज्य बनने का भी रास्ता साफ हो गया।
2- तीन तलाक :
दूसरे कार्यकाल का यह पहला सत्र था। मुस्लिम महिलाओं को अधिकार दिलाने और तलाक ए बिद्दत (यानी एक साथ तीन तलाक) से उन्हें आजादी दिलाने वाला ऐतिहासिक बिल 30 जुलाई को राज्यसभा से पास हुआ था। भाजपा को राज्यसभा में बहुमत नहीं था, लेकिन फिर भी इसके समर्थन में 99 वोट मिले थे।
3- नागरिकता संशोधन विधेयक:
तीन तलाक और आर्टिकल 370 के बाद अब बारी थी नागरिकता संशोधन विधेयक की। भाजपा के घोषणा पत्र में ये मुद्दा भी हमेशा शामिल रहा। भाजपा ने इस सत्र में इसे पेश किया और दोनों सदनों में पास करा लिया। यहां एक बार फिर अमित शाह की रणनीति ही काम आई कि विपक्ष के विरोध और राज्यसभा में पूर्ण बहुमत ना होने के बावजूद यह आसानी से पास हो गया।
4-राम मंदिर:
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दशकों से फंसा अयोध्या विवाद भी खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रामलला को विवादित जमीन का मालिकाना हक दिया। भाजपा भी हमेशा से अयोध्या में मंदिर बनाने के पक्ष में थी। साथ ही इसे घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाता रहा। अब सुप्रीम कोर्ट के सरकार के पक्ष में फैसले से एक और वादा अपने आप ही पूरा हो गया।
3- सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद पूरी दुनिया ने नए भारत को देखा। यह नया भारत दुश्मन को घर में घुसकर मारता है। इसका नजारा दुनिया ने एक बार नहीं कई बार देखा। चाहें उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक हो, या पुलवामा में आतंकियों की हरकत का जवाब देने के लिए एयरस्ट्राइक। इन मौकों पर पूरी दुनिया ने भारत की सेना की ताकत और दृढ़संकल्प को देखा। जहां थल सेना ने पीओके में घुसकर आतंकियों के कैंप तबाह किए तो वहीं, पुलवामा के बाद फरवरी 2019 में भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया।