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खुशखबरी: रूस में बनना शुरू हुआ कोरोना का टीका, भारत में सबसे पहले इन्हें मिलेगी दवा

नई दिल्ली. कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए सैकड़ों देश वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। भारत के वैक्सीन निर्माताओं की क्षमता को देखते हुए रूस ने दिलचस्पी दिखाई है। अब वो चाहता है कि उसके कोरोना टीके Sputnik V का उत्पादन भारत में हो। रूसी डायरेक्टर इनवेस्टमेंट फंड के सीईओ किरिल दिमेत्रीव ने कहा कि इस बारे में बातचीत चल रही है। रूस ने अपने यहां कोरोना वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। 

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Asianet News Hindi
Published : Aug 16 2020, 01:01 PM IST
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उसने कहा है कि इस महीने के आखिर तक यह वैक्‍सीन रोल-आउट कर दी जाएगी। Sputnik V को लेकर कई साइंटिस्‍ट्स का कहना है कि रूस ने तय प्रक्रिया की अनदेखी की है। रूस ने कोविड-19 वैक्‍सीन Sputnik V का पहला बैच तैयार कर लिया है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के हवाले से इंटरफैक्‍स न्‍यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी। कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि वैक्‍सीन को तेजी से अप्रूवल देकर मॉस्‍को ने अपनी प्रतिष्‍ठा दांव पर लगा दी है। 

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Sputnik V प्रॉडक्‍शन में जाने वाली दुनिया की पहली वैक्‍सीन है और रूस ने उसे इस महीने के आखिर तक उपलब्‍ध कराने की बात कही है। आमतौर पर हजारों लोगों पर ट्रायल के बाद टीके को अप्रूवल मिलता है, मगर रूस ने पहले ही इसे हरी झंडी दे दी है। वैक्‍सीन का नाम Sputnik V इसलिए रखा गया है क्‍योंकि सोवियत यूनियन ने दुनिया का पहला सैटेलाइट भी इसी नाम से अंतरिक्ष में भेजा था। राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन का दावा है कि वह वैक्‍सीन पूरी तरह सेफ है और उनकी एक बेटी को भी टीका लगा है।
 

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रूस ने Sputnik V नाम से जो वैक्‍सीन तैयार की है, बताया जा रहा है उसका उत्‍पादन भारत में भी हो सकता है। रशियन डायरेक्‍ट इनवेस्‍टमेंट फंड (RDIF) के सीईओ किरिल दिमेत्रीव के मुताबिक कहा जा रहा है कि भारतीय फार्मास्‍यूटिकल प्रोड्यूसर्स के साथ बातचीत चल रही है। RDIF ने वैक्‍सीन की रिसर्च और प्रॉडक्‍शन को फंड किया है। मॉस्‍को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ एपिडेमियोलजी एंड माइक्रोबॉयलजी ने इसे डेवलप क‍िया है। 

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दिमेत्रीव के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि भारत और रूस, कई सेक्‍टर्स में ऐतिहासिक रूप से साझेदार रहे हैं। RDIF भारतीय कंपनियों के साथ 2012 से जुड़ा हुआ है।' उन्‍होंने कहा कि 'रूस ने पांच देशों में हर साल 500 मिलियन डोज तैयार करने का प्‍लान बनाया है। भारत के अलावा कोरिया और ब्राजील से भी बात हो रही है।'
 

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रूस का दावा है कि Sputnik V के फेज-1 और फेज-2 ट्रायल में सभी वॉलंटियर्स पर इसका असर हुआ। 21 दिन के भीतर इम्‍युनिटी डेवलप हो गई। साइंटिस्‍ट्स के अनुसार बताया जा रहै कि वैक्‍सीन का दूसरा इंजेक्‍शन दिए जाने पर इम्‍युनिटी डबल हो गई। किसी वॉलंटियर पर कोई सीरियस साइड इफेक्‍ट देखने को नहीं मिला। इस टीके का फेज-3 ट्रायल रूस के अलावा सऊदी अरब, फिलीपींस, ब्राजील और यूएई में होगा।

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भारतीय वैज्ञानिक भी कोरोना टीका बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य राज्‍य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का कहना है कि अगर वो कामयाब होते हैं तो कोविड-19 वॉरियर्स को सबसे पहले टीका लगेगा। उन्‍होंने कहा कि 'हमारे वैज्ञानिक इसपर बहुत मेहनत कर रहे हैं। कोविड-19 के खिलाफ तीन वैक्‍सीन टेस्टिंग के अलग-अलग स्‍टेज में हैं और अगर हम वैक्‍सीन बनाने में सफल होते हैं तो हमारे कोविड वॉरियर्स को सबसे पहले डोज मिलेगी।'

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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत बायोटेक की बनाई Covaxin और जायडस कैडिला की ZyCov-D का इंसानों पर ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्‍सफर्ड-अस्‍त्राजेनेका की वैक्‍सीन के फेज- 2/3 ट्रायल के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को इजाजत दी गई है।

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अमेरिकी साइंटिस्‍ट्स ने कम्‍यूटर स्टिमुलेशंस के जरिए पहले से मौजूद एक दवा में कोरोना वायरस को रोकने की क्षमता पाई है। यह दवा होस्‍ट सेल्‍स में कोविड वायरस को रेप्लिकेट होने से रोकती है। साइंस एडवांसेज जर्नल में छपी रिसर्च के अनुसार, Ebselen नाम का केमिकल कम्‍पाउंड कई ऐंटी-वायरल, ऐंटी इनफ्लैमेटरी, ऐंटी-ऑक्सिडेटिव, बैक्‍टीरिसाइडल और सेल-प्रोटेक्टिव गुणों से लैस है। इंसानों पर इसका इस्‍तेमाल भी सेफ रहा है। अब साइंटिस्‍ट्स कोविड-19 के खिलाफ इस दवा का असर देखेंगे।
 

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