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छूने से हो सकती है मौत, फिर भी फर्ज के आगे सबकुछ न्यौछावर कर दिया, ऐसी है डॉक्टर्स की इमोशनल कहानी
| Published : Apr 07 2020, 04:02 PM IST
छूने से हो सकती है मौत, फिर भी फर्ज के आगे सबकुछ न्यौछावर कर दिया, ऐसी है डॉक्टर्स की इमोशनल कहानी
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परिवार से बात करने में डर लगता हैः दिल्ली का एम्स लगातार कोरोना वायरस मरीजों के इलाज में लगा हुआ है। सीनियर तो सीनियर, यहां के जूनियर डॉक्टर्स दिन-रात एक कर मरीजों को ठीक करने की कोशिश में हैं। खुद अपने परिवार से बात करने का वक्त नहीं है मगर मरीजों की खबर जरूर लेते रहते हैं।
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डॉ. अम्बिका AIIMS के COVID-19 ट्रीटमेंट वार्ड में तैनात हैं। बात करते-करते उनका गला रुंध जाता है। डॉ. अम्बिका कहती हैं, 'जब आप अपने घरवालों से बात करते हैं तो आपको भी डर होता है क्योंकि दोनों तरफ से कभी कुछ भी हो सकता है। हो सकता है वो बीमार पड़ जाएं और आप उनकी केयर ना कर पाएं। उस बात का गिल्ट आप कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते।'
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डॉ. अम्बिका की आंखों में आंसू आ जाते हैं। मगर इसके बाद वो बेहद जरूरी बात कहती हैं। उनका ये मैसेज सिर्फ उनके माता-पिता तक नहीं, भारत के हर इंसान तक पहुंचना चाहिए जिसे यह एहसास नहीं कि फ्रंटलाइन पर मौजूद डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स कैसे मेंटल ट्रॉमा के बीच काम कर रहे हैं। डॉ. अम्बिका बताती हैं, 'मेरा परिवार वैसा परिवार है जो खुद को बड़ा मजबूत होने की कोशिश करता है। अब भी जब वो कॉल करते हैं तो कभी नहीं कहते कि वापस आ जाओ। छोड़ दो, क्या रखा है इन सबमे। जान सबसे पहले है। ऐसा कभी मैंने आज तक अपनी जिंदगी में नहीं सुना।'
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बड़े कठिन हालात में कर रहे ड्यूटीः दिल्ली एम्स के डॉ. पवन कहते हैं, 'कोरोना के वक्त भी रेजिडेंट डॉक्टर्स को खासा स्ट्रेस रह रहा है। ये डर होता है कि गलती से हम इन्फेक्शन लेकर चले गए तो फिर घरवालों को भी हो जाएगा।' उन्होंने कहा, 'अभी तो स्टार्ट है। सबको बड़ा सावधान रहना होगा।
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केसेज बढ़ना स्टार्ट होंगे तो अभी जितने इक्विपमेंट्स मिल रहे हैं, उतने भी नहीं मिल पाएंगे। हमें गाइडलाइंस का ध्यान रखना है।'
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मां मुझे वॉयस नोट्स भेजकर हालचाल पूछती हैः एम्स के ही डॉ. अमनदीप ने कहा, 'मेरी मां मुझसे बार-बार यही कहती हैं कि मरीजों की सेवा करता रहूं। वह मुझे वॉयस नोट्स भेजकर मेरा हाल पूछती हैं। बड़ा भावुक हो जाता हूं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि घरों में ही रहें, तभी हम COVID-19 को हरा पाएंगे।'