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हाथरस गैंगरेप: 67 दिन में 80 से अधिक लोगों से पूछताछ, आखिरी बयान को आधार मानकर CBI ने पेश की चार्जशीट
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इन्हीं अहम तथ्यों के आधार पर सीबीआई ने इन चारों आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत किया है। इस मामले में जब राजनीति शुरू हो गई और आरोपी पक्ष लामबंद होने लगा था तो आरोपी पक्ष ने इस मामले में सीबीआई जांच की जोर-शोर से मांग की थी। साथ ही पीड़ित पक्ष का भी नार्को टेस्ट कराने की मांग की थी।
विपक्ष के काफी हो-हल्ला के बाद प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी। सीबीआई ने 11 अक्तूबर को इस मामले की जांच अपने हाथ में ले लिया। यह तथ्य भी गौरतलब है कि इससे पहले 14 सितंबर को जब ये घटना हुई थी तो उस समय एक आरोपी संदीप के खिलाफ जानलेवा हमले और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा कायम किया गया था।
इसके बाद 19 सितंबर को इन्हीं धाराओं में पुलिस ने संदीप को गिरफ्तार भी कर लिया और जेल भेज दिया और धारा 354 भी बढ़ाई। इसके बाद पीड़िता ने 22 सितंबर को जब जेएन मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान विवेचना अधिकारी सीओ सादाबाद बह्म सिंह को बयान दिए। इसके आधार पर इस मामले में सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376 डी और बढ़ाई गई और तीन आरोपियों रवि, रामू व लवकुश के नाम भी बढ़ा दिए गए।
इसके बाद जब गैंगरेप पीड़िता की मौत हो गई तो पुलिस ने इस मुकदमे में धारा 302 भी बढ़ा दी। मौत से पहले पीड़िता ने कहा था कि चारों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म कर जान से मारने की कोशिश की है।
सीबीआई की गाजियाबाद इकाई को इस मुकदमे की जांच मिली। सीबीआई ने जब इस प्रकरण की जांच की तो अपनी जांच के 67 दिन के अंदर करीब 80 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। पीड़िता के गांव के दर्जनों चक्कर लगाए। तत्कालीन सीओ, कोतवाल चंदपा सहित दर्जनों पुलिसकर्मियों, ग्रामीणों से पूछताछ की। जेएन मेडिकल कॉलेज और हाथरस के जिला अस्पताल में जाकर भी छानबीन की।
CBI ने घटना का सीन रिक्रिएट किया। चारों आरोपियों का गांधी नगर (गुजरात) ले जाकर बीआईओएस प्रोफाइलिंग व पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया। काफी जांच-पड़ताल के बाद सीबीआई को ऐसे सबूत हासिल नहीं हुए, जिससे कि आरोपी निर्दोष साबित होते। वहीं मृत्यु से पहले इस केस के जांच अधिकारी को दिया गया पीड़िता का बयान अहम बन गया। इसी को आधार बनाकर सीबीआई ने भी पुलिस द्वारा बनाए गए आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी।