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जानिए कौन हैं शुभेंदु अधिकारी, जिन्होंने ममता को दिया जोर का झटका; कभी उनकी सरकार में थे नंबर 2
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य में राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। पश्चिम बंगाल सरकार में नंबर 2 कहे जाने वाले तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया। शुभेंदु ने बुधवार को विधानसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसे टीएमसी और ममता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। आईए जानते हैं कि कौन हैं शुभेंदु अधिकारी?
| Published : Dec 16 2020, 05:05 PM IST
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शुभेंदु अधिकारी को हाल ही में गृह मंत्रालय ने जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी है। शुभेंदु अधिकारी पिछले कुछ समय से तृणमूल कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। इसी के बाद उनके टीएमसी छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे थे। यहां तक कि भाजपा नेता रूपा गांगुली ने भी कह दिया है कि अगर अधिकारी भाजपा में शामिल होते हैं तो यह उनका स्वागत है।
भगवा रंग में रंगा ऑफिस
शुभेंदु ने हाल ही में अपने क्षेत्र पूर्व मेदिनीपुर के कांथी में एक ऑफिस खोला है। इसे भगवा रंग से रंगा गया है। इस ऑफिस को शुभेंदु बाबू सहायता केंद्र नाम दिया गया है। खास बात ये है कि शुभेंदु के करीबी कनिष्क पांडा ने भगवा ऑफिस के सवाल के जवाब में कहा कि यह रंग त्याग और सेवा का प्रतीक है।
शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन मंत्री थे। उन्होंने 27 नवंबर को मंत्रिपद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा था कि मेरी पहचान यह है कि मैं पश्चिम बंगाल और भारत का बेटा हूं। मैं हमेशा पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए लडूंगा। उन्होंने उसी दिन ऐलान कर दिया था कि टीएमसी में रहकर काम करना संभव नहीं है।
शुभेंदु अधिकारी को जनाधार वाले एक प्रभावशाली नेता के तौर पर माना जाता है। शुभेंदु अधिकारी ने कांथी पीके कॉलेज से स्नातक में ही राजनीतिक जीवन में कदम रखा था। वे 1989 में छात्र परिषद के प्रतिनिधि चुने गए। शुभेंदु 36 साल की उम्र में पहली बार 2006 में कांथी दक्षिण सीट से विधायक चुने गए।
इसके बाद वे इसी साल कांथी नगर पालिका के चेयरमैन भी बने। शुभेंदु 2009 और 2014 में तुमलुक लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने 2016 में नंदीग्राम विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। उन्होंने ममता ने मंत्री भी बनाया।
शुभेंदु का राजनीतिक करियर भले ही 1990 के दशक में शुरू हुआ हो, लेकिन उनका सियासी कद 2007 में बढ़ा। उन्होंने पूर्वी मिदनापुर के वर्ष 2007 के नंदीग्राम आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में शुभेंदु शिल्पी की भूमिका में रहे।
इस आंदोलन में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में कई लोगों की मौत के बाद आंदोलन और उग्र हो गया। इसके बाद तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार को झुकना पड़ा। नंदीग्राम और हुगली के सिंगूर में हुए आंदोलन ने तृणमूल कांग्रेस को बंगाल में पकड़ और मजबूत करने का मौका दिया।
शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन, जल संसाधन और विकास विभाग तथा सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग मंत्री भी रहे। शुभेंदु पूर्वी मिदनापुर जिले के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
शुभेंदु के पिता शिशिर अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में रहे। वे 1982 में कांग्रेस के टिकट पर कांथी दक्षिण सीट से विधायक भी रहे। शिशिर अधिकारी तुमलुक लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे मनमोहन सिंह सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री भी रहे। शुभेंदु के भाई दिव्येंदु अधिकारी कांथी लोकसभा सीट से सांसद हैं।
इन सीटों पर शुभेंदु का प्रभाव
पूर्वी मिदनापुर के अंतर्गत 16 विधानसीटें आती हैं। इसके अलावा पश्चिमी मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों की करीब 5 दर्जन सीटों पर अधिकारी परिवार का प्रभाव माना जाता है। इतना ही नहीं नंदीग्राम आंदोलन में शुभेंदु के कौशल को देखते हुए ममता बनर्जी ने मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया में तृणमूल के विस्तार का काम सौंपा था। शुभेंदु ने इन जगहों पर पार्टी को मजबूत किया। इसके अलावा मुर्शिदाबाद और मालदा में भी शुभेंदु की अच्छी पकड़ बताई जाती है।