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गलवान हिंसा: सैटेलाइट तस्वीरों से खुली चीन की पोल, सेना के साथ झड़प से पहले रची थी ये साजिश
नई दिल्ली. लद्दाख में भारत और चीन के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए। फिर खबर आई कि चीन ने 10 जवानों को बंधी बना रखा था, जिन्हें उसने रिहा कर दिया। इसके बाद खबर आई कि भारत चीन के करनल को ही उठा लाया था। अब इस झड़प के बाद की गलवान घाटी की कुछ सैटेलाइट फोटोज सामने आई हैं। इन फोटोज में साफ तौर से जाहिर हो रहा है कि चीन ने गलवान घाटी में पहले से ज्यादा तेज अपनी गतिविधियां कर दी थी। इन तस्वीरों से सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या चीन इस घटना को पहले से ही अंजाम देने की तैयारियों में जुटा था? सामने आई तस्वीरों से चीन की काली करतूत का खुलासा हुआ है।
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गलवान घाटी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अक्साई-चिन से सटी हुई है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इन तस्वीरों से पता चलता है कि चीन गलवान घाटी के परिदृश्य को काफी पहले से बदलने में लगा है। घाटी के रास्ते चौड़े किए जा रहे हैं। इन तस्वीरो को देखकर साफ तौर से जाहिर हो रहा है कि जैसे चीन गलवान नदी पर पुल का निर्माण कर रहा हो।
बात इतने पर ही खत्म नहीं होती है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चल रहा है कि चीन ने इस इलाके में बुल्डोजर भी तैनात किए थे, जिसके निशान तस्वीरों में साफ तौर से देखने के लिए मिल रहे हैं। इन सभी गतिविधियों से चीन की मंशा जाहिर हो रही है।
इन तस्वीरों को लेकर कैलिफोर्निया के मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में ईस्ट एशिया नॉन प्रोलिफरेशन प्रोग्राम के डायरेक्टर ने कहा कि ऐसा लगता है कि चीन यहां की नदी पर डैम बनाने या उसके पानी को रोकने का काम भी कर रहा है।
बता दें, हाल ही में इसी घाटी में भारत और चीन के बीच झड़प हुई है। इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हुए हैं। दोनों देश के बीच हुआ संघर्ष 1967 के बाद से सबसे गंभीर बताया जा रहा है। लद्दाख के इस इलाके में मई की शुरुआत से ही दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।
हालांकि, चीन लद्दाख हिंसा को लेकर भारत के आरोपों से साफ इंकार कर रहा है। चीन उल्टा ही इसका जिम्मेदार भारत को ही ठहरा रहा है।
चीन का कहना है कि पश्चिमी हिमालय में 14,000 फीट (4,300 मीटर) की ऊंचाई पर हुए इस संघर्ष के लिए भारतीय सेना जिम्मेदार है। भारत और चीन के बीच 4,056 किलोमीटर (2,520 मील) की सीमा पश्चिम में ग्लेशियरों, बर्फीले रेगिस्तानों और नदियों से होते हुए पूर्व के घने जंगलों तक जाती है।