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छाती पर दांत से काटा, प्राइवेट पार्ट में डाला था रॉड... निर्भया के दरिंदे कुछ यूं पहुंचे मौत के तख्त तक
| Published : Mar 09 2020, 09:09 AM IST / Updated: Mar 09 2020, 09:11 AM IST
छाती पर दांत से काटा, प्राइवेट पार्ट में डाला था रॉड... निर्भया के दरिंदे कुछ यूं पहुंचे मौत के तख्त तक
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दोषियों को सजा दिलाने के लिए यूं तो काफी सबूत और गवाह थे लेकिन पहली बार दुष्कर्म के मामले में आरोपियों, पीड़िता व घायल युवक के खून की जांच के लिए डीएनए टेस्ट कराए गए, जो अदालत में बड़े सबूत बने। आरोपियों के दांतों की जांच भी सफदरजंग अस्पताल में कराई गई, क्योंकि पीड़िता के शरीर पर कई जगह दांत से काटे जाने के निशान थे। फॉरेंसिक जांच के अलावा निर्भया के खून से सने कपड़ों और आरोपियों का मेडिको लीगल केस (एमएलसी) भी अहम सबूत बना। (फोटोः निर्भया के चारों दोषी, जिन्हें दी जानी है फांसी)
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कुछ इस तरह हुई थी दरिंदगीः निर्भया से दरिंदगी करने वाले आरोपियों ने चेहरे पर दांत से काटा था। छाती और गले पर नाखून से काटने के निशान मिले थे। इतना ही नहीं पेट पर नुकीले हथियार से गंभीर चोट लगा हुआ था। वहीं, इलाज कर रहे डॉक्टरों को प्राइवेट पार्ट्स पर तेज चोट के निशान लोहे की रॉड शरीर के अंदर डाले जाने के जख्म मिले थे। जिसके कारण बच्चेदानी का कुछ हिस्सा प्रभावित हुआ था। वहीं, रॉड की वजह से छोटी आंत पूरी तरह से बाहर आ गई थी। जबकि बड़ी आंत का भी काफी हिस्सा प्रभावित हुआ था।
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तेजी से फैल रहा था संक्रमणः पीड़िता का इलाज करने वाले चिकित्सकों में शामिल डॉ. पीके वर्मा और डॉ. राजकुमार ने बताया था कि उसके पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया था। इसको काबू में करना बड़ी चुनौती थी। शुरुआती दौर में संक्रमण को कुछ हद तक काबू भी किया गया, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया स्थिति बिगड़ती गई। (फाइल फोटोः निर्भया की मौत के बाद मां आशा देवी)
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निर्भया को रिकवर करने के लिए चिकित्सकों ने पूरी ताकत झोंक दी और पांच सर्जरी करने के बाद भी उसके हालत बिगड़ती गई। जिसके बाद निर्भया को 26 दिसंबर की रात एयर एंबुलेंस से सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल भेजा गया। जहां निर्भया जिंदगी और मौत से दो-दो हाथ कर रही थी। लेकिन अंत में मौत के आगे वह जिंदगी की जंग हार गई और 29 दिसंबर को दम तोड़ दिया। (फोटोः निर्भया के दरिंदों की प्रोफाइल)
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तीन बार मौत से बच चुके हैं दरिंदेः निर्भया के दोषी 3 बार मौत से बच चुके है। कोर्ट ने इससे पहले 3 बार डेथ वारंट जारी किया और दरिंदों के दलील के कारण तीनों बार फांसी पर रोक लगानी पड़ी। दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने 7 जनवरी को पहली बार दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किया, जिसमें दोषियों को 21 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाए जाने का आदेश दिया गया। लेकिन दोषियों ने कानूनी दांव पेंच का प्रयोग करते हुए 14 जनवरी को इस आदेश पर रोक लगवा दिया। (फोटोः निर्भया को न्याय दिलाने के लिए कब क्या-क्या हुआ।)
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दूसरी बार जारी हुआ डेथ वारंटः पहली बार फांसी की तारीख टलने के बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दूसरी बार डेथ वारंट जारी करते हुए 17 जनवरी को आदेश दिया कि दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी। लेकिन दोषियों ने फिर पैंतरेबाजी करते हुए 31 जनवरी को फांसी को टलवाने में सफल हुए। जिसके बाद कोर्ट 17 फरवरी को आदेश देते हुए 3 मार्च को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया। लेकिन दोषी तीसरी बार भी फांसी से बचने में सफल हुए। (फाइल फोटोः निर्भया से इसी बस में की गई थी दरिंदहगी)
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फांसी पर फिर फंस सकता है पेंचः निर्भया के दोषी अक्षय की दूसरी दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी गई है। इस याचिका पर तिहाड़ जेल प्रशासन को जवाब तलब भी किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस याचिका की वजह से फांसी की तारीख फिर से टाली जा सकती है। ( फाइल फोटोः निर्भया के दरिंदों को दोषी करार दिए जाने के बाद मामले की जांच करने वाली पुलिस अधिकारी छाया शर्मा खुशी जाहिर करती हुईं।)
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कोर्ट ने पूछा, कहां है दया याचिकाः वकील एपी सिंह ने कहा कि अक्षय की पहली दया याचिका तथ्यों को आभाव में खारिज हो गई थी। इसलिए दूसरी दया याचिका लगाई गई। उसे तिहाड़ जेल प्रशासन ने रिसिव भी किया। लेकिन उसे अब तक आगे नहीं भेजा गया है। कोर्ट ने इसपर तिहाड़ जेल प्रशासन से जवाब भी मांगा है कि आखिर वह दया याचिका कहां पर है? (फाइल फोटोः निर्भया की मां आशा देवी)
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खत्म हो गए हैं सारे कानून विकल्पः निर्भया के दोषियों के फांसी से बचने के लिए सारे कानून विकल्प खत्म हो गए है। हालांकि दोषी बचने के लिए कोई न कोई तरकीब खोज ही ले रहे हैं। लेकिन चारों दोषियों को मिलने वाले कानूनी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो गए हैं। अभी तक दोषी इन्हीं विकल्पों के कारण बचते आए है। (फोटोः निर्भया की मौत के बाद देश में गम और गुस्से का माहौल था।)
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16 दिसंबर 2012 की वह काली रातः दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई। (फाइल फोटोः निर्भया के दरिंदों को दोषी करार दिए जाने और मौत की सजा सुनाए जाने के बाद खुशी से झूम उठे थे पुलिस अफसर।)