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हर साल 30 हजार कुत्ते चट कर जाते हैं इस राज्य के लोग, खुलेआम 50-4000 रुपए तक में मिलता है मीट
कोहिमा. नगालैंड ने पिछले हफ्ते कुत्तों के मांस की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इससे पहले मिजोरम ने भी ऐसा ही प्रतिबंध लगाया था। नगालैंड में कुत्तों के मांस पर प्रतिबंध के फैसले का जहां कुछ ओर स्वागत हो रहा है, वहीं, कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। लोग इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन तक बता रहे हैं। आईए जानते हैं कि नगालैंड में लोगों की कुत्तों के मांस के प्रति इतनी रुचि क्यों है और हर साल यहां कितने कुत्ते काटे जाते हैं।
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क्या है मामला?
नगालैंड सरकार ने पिछले दिनों कुत्तों के मीट के व्यापार पर रोक लगाई थी। अब राज्य में कच्चा या पका हुआ किसी भी प्रकार का कुत्ते का मीट नहीं बिकेगा। ऐसे में कुत्ते का मीट खाने और इसके व्यापार से जुड़े लोग इसे अलोकतांत्रिक बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार उनके खाने पीने के तरीकों की आजादी छीन रही है।
नागाओं से जुड़ा है मामला?
नगालैंड के नागा कुत्ते का मीट खाने को अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। इन लोगों का कहना है कि सरकार ने बिना विचार किए जल्दबाजी में फैसला लिया। पूर्वोत्तर राज्यों में कुत्ते के मांस को उच्च पोषण और औषधीय माना जाता है। इसलिए स्थानीय लोग इस फैसले का जमकर विरोध ककर रह हैं। लोगों का कहना है, वे इसे सालों से खा रहे हैं। खान पान पर इस तरह पाबंदी लगाना ठीक नहीं है।
नगालैंड में सबसे ज्यादा बिकता है कुत्ते का मांस
पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में कुत्ते का मीट खाया जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा यह नगालैंड में बिकता है। नगालैंड और असम की सीमा में बसा दीमापुर कुत्ते के मांस का सबसे बड़ा बाजार है। इसे मार्केट से पूरे पूर्वोत्तर में कुत्तों की तस्करी होती है।
बताया जाता है कि इस मार्केट में जिंदा कुत्तों को पकड़कर 50 रुपए से 150 रुपए तक में बेचा जाता है। दीमापुर में त्योहारों के मौकों पर सबसे ज्यादा मांस बिकता है। उस समय कुत्ते की कीमत 1000 रुपए हो जाती है। ऐसे में कुत्ते के मांस के रेट 4000 रुपए तक पहुंच जाते हैं।
200-250 रुपए किलो बिकता है कुत्ते का मांस
दीमापुर में कुत्ते का मांस सुखाकर बेचा जाता है। यहां एक किलो मांस की कीमत 200-250 रुपए किलो तक होती है। यहां से यह मांस छोटी दुकानों और होटलों में भी जाता है।
नगालैंड में कुत्ते का मांस होटलों और ढाबों में भी मिलता है। इसे लोग चावल के साथ खाना पसंद करते हैं। हर साल राज्य में 30-40 हजार कुत्तों की तस्करी होती है।
नगालैंड में कई इलाकों में खुले तौर पर इस तरह कुत्ते और उनके मीट की अवैध रूप से बिक्री की जाती है। हालांकि, कानूनी तौर पर कुत्तों की तस्करी और मांस खाना अवैध है।
इसके बावजूद असम और बंगाल से यहां बड़ी संख्या में अवैध रूप से कुत्ते लाए जाते हैं।
कुत्तों को ट्रकों में भरकर लाया जाता है। इनके मुंह बांध दिया जाते हैं, ताकि भौंख ना सकें।