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राहुल ने कहा- कृषि कानून वापस कराकर ही रहेंगे, जाने राजस्थान पहुंच जाट समुदाय को कैसे साधने में लगे हैं?
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"खेती को किसी एक व्यक्ति का बिजनेस नहीं बनने देंगे"
हनुमानगढ़ के पीलीबंगा में राहुल गांधी ने कहा कि मैंने संसद में कृषि कानूनों की सच्चाई को समझाया। इस देश की रक्षा सिर्फ किसान ही करते हैं। देश की 40% जनता इसकी भागीदार है। हम खेती को किसी एक व्यक्ति का बिजनेस नहीं बनने देंगे। केंद्र सरकार के नए कानून के बाद कोई भी व्यक्ति कितनी भी फसल खरीद सकता है और अपने पास जमा कर सकता है।
राजस्थान के हनुमानगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, पहला कृषि कानून कहता है कि कोई भी बड़ा व्यवसायी देश में कहीं भी किसी भी किसान से जितना चाहे अनाज खरीद सकता है। तब मंडी की क्या जरूरत है? इसलिए पहला कानून मंडी को खत्म करने का कानून है।
राहुल ने कहा, दूसरा कानून कहता है कि कोई भी उद्योगपति जितना चाहे सब्जी, अनाज, फल कितने भी समय के लिए स्टोर करके रख सकता है। मतलब ये व्यक्ति दाम को नियंत्रित कर पाएगा। जैसे ही ये दूसरा कानून लागू होगा हिंदुस्तान में अरबपति लोगों द्वारा जमाखोरी शुरू हो जाएगी।
"मोदी जी कहते हैं कि हम किसानों के साथ बात करना चाहते हैं, आप क्या बात करना चाहते हैं? (कृषि) कानूनों को निरस्त करें, किसान आपके साथ बात करेंगे। आप (पीएम) जमीन छीन रहे हैं और फिर आप बात करना चाहते हैं। पहले कानून वापस लें, फिर बात करें। मैं आपके सामने खड़े होकर कहता हूं कि इस कानून को वापस ही करा कर रहेंगे।"
जाटों के बीच 'वीर तेजाजी मंदिर' का क्या है महत्व?
राजस्थान, हरियाणा और यूपी में जाट समुदाय वीर तेजाजी की पूजा करने के लिए जाना जाता है। सुरसुरा गांव में उनकी मृत्यु हुई थी। राजनीतिक रूप से नागौर जिले को राजस्थान की जाट राजधानी के रूप में जाना जाता है।
राजस्थान में कहां-कहां जाटों की बाहुलता है?
श्री गंगा नगर और हनुमानगढ़ एक अन्य जाट बहुल जिले हैं और कांग्रेसी नेता शुक्रवार को यहां दो किसान रैली को संबोधित करेंगे। कांग्रेस राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के जाट बहुल क्षेत्र को समर्थन देने और जीत हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रही है, क्योंकि पार्टी जानती है कि गाजीपुर (यूपी) से शांजापुर (राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर) तक किसान आंदोलन चल रहा है, जिसका नेतृत्व जाट नेता के द्वारा किया जा रहा है।
2018 में तीन पार्टियों के बीच बंट गया था जाट वोट
2018 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान में जाट वोट बैंक हनुमान बेनीवाल की अगुवाई वाली आरएलपी, भाजपा और कांग्रेस के बीच विभाजित हो गया। यही हाल हरियाणा में भी रहा, जहां जाट वोट बैंक जेजेपी और कांग्रेस के बीच बंट गया। पश्चिमी यूपी में जाट वोट भाजपा और आरएलडी में बंट गए।