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24 साल की पायलट ने युद्धग्रस्त यूक्रेन से 800 से अधिक भारतीयों को निकाला, पोलैंड और हंगरी से भरी उड़ानें
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पिछले चार साल से एक निजी भारतीय कैरियर के साथ उड़ान भरने वाली चक्रवर्ती कहती हैं कि यह उनके जीवन के लिए सबसे बड़ा अनुभव था। ऐसे छात्र जो किशोरावस्था में थे, कुछ बीस साल के थे। इनमें से कई बीमार थे जो जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे। मैं उनके इस संघर्ष की भावना को सलाम करती हूं।
महाश्वेता बताती हैं कि मुझे यूक्रेन में फंसे छात्रों को घर वापस लाने के मिशन में काम करने पर बेहद गर्व महसूस होता है। भारत ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने के लिए 77 फ्लाइट्स चलाईं। इनमें से अधिकांश एअर इंडिया की थीं। भारतीय वायुसेना (Indian air force) के साथ ही इंडिगो, स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस ने भी इस ऑपरेशन में फ्लाइट्स ऑपरेट कीं।
महाश्वेता ऑपरेशन के बारे में बताती हैं कि मुझे देर रात एक कॉल आया और बताया गया कि एयलाइन कंपनी ने मुझे रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए चुना है। मैंने दो घंटों में पैकिंग की और घर से निकल गई। मैंने इस्तांबुल के लिए उड़ान भरी। यह पोलैंड से ढाई घंटे की दूरी पर है, जहां हमें रेस्क्यू ऑपरेशन को ऑपरेट करने की बारे में दिशा-निर्देश दिए गए।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से ग्रेजुएट पायलट महाश्वेता का कहना है कि दिन में 13-14 घंटे एयरबस ए 320 में उड़ान भरने के बाद मेरी खुद की शारीरिक थकान शायद ही समझ आ रही थी, क्योंकि हमारे साथ जो छात्र थे, वे दहशत के माहौल से वापस आए थे। उनमें से ज्यादातर बदहाल थे। हमने उन्हें खाने-पीने की चीजें दीं, लेकिन वे पानी पीना भी नहीं चाहते थे।
ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीय छात्रों को निकालने के लिए मोदी सरकार ने भी जबरदस्त प्रयास किए। उन्होंने 4 मंत्रियों को पोलैंड, हंगरी, रोमानिय, स्लोवाकिया और मोल्डोवा बॉर्डर पर भेजा। 24 मंत्री वापस आने वाले छात्रों को रिसीव करने के लिए विभिन्न एयरपोर्ट्स पर लगे रहे।
महाश्वेता का कहना है कि ऑपरेशन गंगा में काम करना मेरे लिए गर्व का विषय है। युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंसे अपने देश के लोगों को निकालना चुनौतीपूर्ण काम था, जिसे हमने पूरी शिद्दत के साथ अंजाम दिया।