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यहां के लोगों ने सालों से छाता और पगड़ी नहीं लगाया, कहा- टेंट में भी रामलला के सिर पर धूप बारिश पड़ रही

अयोध्या. राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन है। अब मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। लेकिन जहां पर मंदिर बन रहा है वहां से 15 किमी. की दूरी पर एक गांव ऐसा भी है, जिनकी मंदिर निर्माण के साथ एक ऐसी प्रतिज्ञा पूरी होगी, जिसकी वजह से गांव के लोग ना छाता का इस्तेमाल करते थे और न ही पगड़ी पहनने का। गांव का नाम जनौरा है। पूर्व का इसका नाम जनकौरा था। 

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Ujjwal Singh
Published : Aug 03 2020, 04:06 PM IST| Updated : Aug 03 2020, 04:20 PM IST
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रामलला को टेंट से बाहर लाने की ली प्रतिज्ञा
जनौरा सूर्यवंशी ठाकुरों का गांव है। गांव के लोग सैकड़ों साल से राम लला के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सालों से रामलला टेंट में थे, इसी कारण गांव के लोगों ने भी फैसला किया कि जब हमारे रामलला टेंट में हैं तो हम भी छाता और पगड़ी का इस्तेमाल नहीं करेंगे। यानी एक तरह से खुद को कष्ट में रखेंगे क्योंकि हमारे रामलला कष्ट में हैं।
 

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तब तक मंदिर नहीं, तब तक न छाता, न पगड़ी
गांव के ही नरेंद्र देव सिंह का कहना है कि यह प्रथा हमारे पूर्वजों से चली आ रही है। उनका कहना था कि जब रामलला के सिर पर धूप बरसात पड़ती है तो हम भी सिर नही ढकेंगे। लेकिन अब सैकड़ों साल से चली आ रही प्रथा को खत्म करने का वक्त आ गया है। अब इस गांव के लोगों की प्रतिज्ञा पूरी होने जा रही है।
 

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गांव के लोग सालों से पूरी कर रहे प्रतिज्ञा
गांव के ही राम सूरत सिंह कहते हैं,  रामलला के लिए ये प्रतिज्ञा आज से नहीं बल्कि सैकड़ों साल से चली आ रही है। हांलाकि आने वाली पीढ़ियां इसे नहीं मानती है लेकिन आज भी बड़े बुजुर्गों के लिए ये एक शपथ जैसी है। हम छाता नहीं लगाएंगे, पगड़ी नहीं पहनेंगे। और पैरों में चप्पल नहीं पहनेंगे। नंगे पांव रहेंगे।
 

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राजा जनक ने दशरथ से खरीदा था गांव
जनौरा गांव में 80 प्रतिशत घरों में राम मंदिर है। स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव को राजा जनक ने राजा दशरथ से पैसा देकर खरीदा था। इसके पीछे बड़ी वजह भी थी। दरअसल, जब राजा जनक अपनी बेटी सीता से मिलने के लिए आते थे तो रुकने की दिक्कत थी। वह बेटी के घर नहीं रुकना चाहते थे। इसलिए उन्होंने इसका हल निकाला और राजा दशरथ से ही यह गांव खरीद लिया।
 

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क्या है गांव से जुड़ी मान्यता
एक मान्यता के मुताबिक, शादी में राजा जनक ने दशरथ को हाथी-घोड़े दिए थे। लेकिन हाथी घोड़े राजा दशरथ के घर पर न ही कुछ खाते और न ही पीते। तब मां सीता ने बताया कि हाथी-घोड़े भी बेटी के घर का पानी नहीं पी सकते हैं। फिर हाथी-घोड़ों को भी उसी गांव में ले जाया गया। 

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जनक ने पूजा के लिए गांव में मंदिर भी बनवाया
राजा जनक के रुकने की तो व्यवस्था हो गई, लेकिन रुकने के दौरान वह पूजा कहां करें? इसकी भी दिक्कत थी। जब उन्होंने उसी गांव में मंत्रेश्वर महादेव का मंदिर बनवाया। दरअसल, राजा जनक शिव के बहुत बड़े भक्त थे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने दामाद राम के हाथों से शिवलिंग स्थापित कराया था। यहीं पर राजा जनक पूजा करते थे।
 

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मंदिर निर्माण से खुश हैं, लेकिन एक है दुख
अब अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू होने वाला है। लेकिन खुशी के साथ गांव के लोगों का एक दुख भी है, जिसकी शिकायत इन्होंने पीएम कार्यालय भी की। भूमि पूजन में गांव में से किसी को भी नहीं बुलाया गया है। इसके लिए इन्होंने शिकायत की है।  
 

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