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वो महान हस्ती थे और रहेंगे, जिनके दिमाग में गंदे ख्यालात हैं वे साफ कर लें : शिव सेना
| Published : Jan 03 2020, 05:19 PM IST
वो महान हस्ती थे और रहेंगे, जिनके दिमाग में गंदे ख्यालात हैं वे साफ कर लें : शिव सेना
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विनायक सावरकर का जन्म महाराष्ट्र (तत्कालीन नाम बम्बई) प्रान्त में नासिक के पास भागुर गांव में हुआ था। उनकी मां का नाम राधाबाई तथा पिता जी का नाम दामोदर पन्त सावरकर था। इनके दो भाई गणेश (बाबाराव) और नारायण दामोदर सावरकर और एक बहन नैनाबाई थीं। जब वे केवल 9 साल के थे तभी हैजे की महामारी में उनकी मां का देहान्त हो गया। 7 साल बाद प्लेग की महामारी में उनके पिता भी स्वर्ग सिधार गए।
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मां-पिता के निधन के बाद बड़े भाई गणेश ने परिवार के पालन पोषण किया। दुख और कठिनाई की घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व का विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा। विनायक ने शिवाजी हाईस्कूल नासिक से मैट्रिक की परीक्षा पास की। बचपन से ही वे पढ़ाकू थे। उन्हें कविताएं भी लिखी थीं।
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आर्थिक संकट के बावजूद बाबाराव ने विनायक की उच्च शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया। विनायक ने स्थानीय नवयुवकों को संगठित करके मित्र मेलों का आयोजन किया। शीघ्र ही इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला जाग उठी। 1909 में यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ। उनके ससुर ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठाया। 1902 में मैट्रिक की पढाई पूरी करके उन्होने पुणे के फर्ग्युसन कालेज से बीए किया।
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वीर सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लन्दन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन संगठित किया।
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वे भारत के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में स्वदेशी का नारा दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई।
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सावरकर पर भारत सरकार द्वारा जारी डाक-टिकट