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जिन सावरकर को लेकर कांग्रेस ने की आपत्तिजनक टिप्पणी, उनके बारे में जान लेनी चाहिए ये 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली. कांग्रेस सेवादल की किताब में विनायक दामोदर सावरकर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी से एक बार फिर विवाद बढ़ गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, वीर सावरकर जैसे इस देश के महान सपूत और बलिदानी का भी कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही है। कांग्रेसियों शर्म करो-शर्म करो। उधर, शिवसेना और कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आमने सामने आ गई हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, वे महान हस्ती थे और रहेंगे, जिनके मन में गंदे ख्याल हैं, वे साफ कर लें। दरअसल, कांग्रेस सेवादल की किताब दावा किया गया है कि गांधी जी के हत्यारे और सावरकर में समलैंगिक संबंध थे। इससे पहले भाजपा ने महाराष्ट्र विधानसभा में जारी अपने घोषणा पत्र में वीर सावरकर को भारत रत्न देने का वादा भी किया था। विवादों के बीच जानते हैं सावरकर के बारे में 10 फैक्ट...

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Asianet News Hindi
Published : Jan 03 2020, 04:33 PM IST| Updated : Jan 03 2020, 04:56 PM IST
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1- वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था, उनका 1883 में जन्म नासिक के भांगुर गांव में हुआ था। उनके दो भाई एक बहन थी।
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2- 1904 में उन्होंने अभिनव भारत नाम के क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की। सावरकर रूसी क्रांतिकारियों से काफी प्रभावित थे।
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3- 1905 में बंगाल विभाजन के बाद उन्होंने पुणे में विदेशी कपड़ों की होली जलाई। वे ऐसा करने वाले पहले भारतीय राजनीतिज्ञ थे।
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4- वे पहले लेखक थे, जिनकी किताब को 2-2 देशों ने प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने ' द इण्डियन वार ऑफ इण्डिपेण्डेंस 1857' हॉलेंड में जाकर प्रकाशित की।
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5- सावरकर ने मई, 1907 को इंडिया हाउस लंदन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयंती मनाई।
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6- सावरकर की स्नातक की उपाधि अंग्रेजों ने इसलिए वापस ले ली, क्यों कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था।
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7- वीर सावरकर ने इंग्लैंड के राजा के प्रति वफादारी की शपथ लेने से मना कर दिया। इसके चलते वे वकालत नहीं कर पाए।
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8- राष्ट्रध्वज 'तिरंगे' में धर्म चक्र लगाने का सुझाव वीर सावरकर ने दिया था, इसे तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने मान लिया।
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9- सावरकर एक ऐसे वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे, जिन्होने ब्रटिश शासन को हिला डाला था।
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10- सावरकर 25 साल तक किसी ना किसी रूप में अंग्रेजों की कैद में रहे। उन्हें दो बार अजीवन कारावास की सजा मिली। उन्हें अडमान में काला पानी की सजा भी काटनी पड़ी।

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