युद्ध में संकट के वक्त दुश्मनों को सबक सिखाने में कैसे काम आएगी अटल टनल?
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अटल सुरंग में यात्रियों के लिए सुविधाओं के साथ साथ इसका सामरिक महत्व भी है। खासकर चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) पर तैनात भारतीय सैनिकों के लिए यह लाइफलाइन का काम करेगी। इसकी मदद से हथियार और अन्य साम्रगी को आसानी से हर मौसम में बॉर्डर पर पहुंचाया जा सकेगा। इस टनल से हर मौसम में लद्दाख भारत से जुड़ा रहेगा। ऐसे में युद्ध या संकट के समय सीमा पर इस रास्ते से आसानी से हथियार पहुंचाए जा सकेंगे।
सैन्य दृष्टिकोण से अहम है यह सुरंग
अटल सुरंग को सैन्य रसद के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है। यह लद्दाख जाने वाले दो प्रमुख मार्गों में एक पर है। मौजूदा समय में मनाली की ओर से सैनिक आवाजाही सिर्फ जून से नवंबर तक ही हो पाती थी। लेकिन अब यह सभी महीने में खुली रहेगी। सुरंग से मनाली और लेह की बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी। इसके चलते सैन्य आवाजाही में करोड़ों रुपए की बचत होगी।
सेना को मिलेगा फायदा
टनल बनने के बाद मनाली के पास सोलांग घाटी से लाहौल के सिसू के बीच की दूरी 10 मिनट में तय होगी। इस टनल से चीनी सीमा पर मौजूद भारतीय सेना को भी काफी फायदा मिलेगा। अब बर्फबारी के समय भी सेना आसानी से बॉर्डर तक आवाजाही कर सकेगी।
क्या है सुरंग के अन्य महत्व?
इस सुरंग से मनाली से लेह का रास्ता कम से कम समय में और किसी भी परिस्थिति में तय किया जा सकेगा। इसके साथ ही लाहौल-स्पीति जिले में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हाल ही में कहा था कि यह सुरंग लाहौल के निवासियों के लिए वरदान होगी। अभी लाहौल 6 महीने तक बर्फबारी के चलते देश के बाकी हिस्सों से कटा रहता है।