खुशियों की अंतिम तैयारी, चंद दूरी पर है दिवाली
दिवाली को खुशियों का त्यौहार कहा जाता है। क्योंकि यह त्यौहार सबको हर्ष-उल्लास में डूबने का मौका देता है। बाजार में रौनक होती है, लोगों के काम-काज में चार-चांद लगते हैं। इस बार दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी। वैसे दिवाली के त्योहार का आगाज धनतेरस से शुरू हो जाता है। धनतेरस 25 अक्टूबर को है। इस दिन से घरों और बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। यह पांच दिवसीय त्योहार 29 अक्टूबर को भाई दूज के साथ विदा लेगा। करीब 50 साल बाद ऐसा संयोग आ रहा है, जब दिवाली के दिन ही नरक चतुर्दशी पड़ रही है। खैर, यह तो हुई दिवाली के बारे में छोटी-सी बात। लेकिन यह याद रखें कि किसी भी त्योहार को मनाने के पीछे उसकी एक सामाजिक सोच भी होती है। त्योहार इसलिए मनाए जाते हैं, ताकि लोग एक-दूसरे को खुशियां बांटें। बाजार से लोग खरीददारी करें, ताकि लोगों का रोजगार बढ़े। पिछले कुछ सालों से इलेक्ट्रिक लाइट्स यानी चाइनीज झालर का प्रचलन बढ़ा है। लेकिन असली दिवाली दीयों से ही जगमग होती है। गरीब कुम्हार सालभर दिवाली का इंतजार करते हैं, ताकि उनके हुनर से तैयार दीये बिकें और वे भी दिवाली के त्योहार में अपने लिए कुछ खुशियां खरीद सकें। इसलिए रोशनी करने अगर दीये खरीदेंगे, तो इनकी भी दिवाली मन जाएगी। इन्हें भी खुशियां हासिल करने का मौका मिल जाएगा। पटाखों से भी कई परिवारों का घर चलता है।
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