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गुरसेवक पंचतत्व में विलीन: 4 साल के बेटे ने आर्मी ड्रेस पहन पापा को किया सैल्यूट, ताबूत से लिपट पत्नी रोती रही
तरन तारन (पंजाब). तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए सीडीएस बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के साथ जान गंवाने पंजाब के वीर सपूत शहीद गुरसेवक आज रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका पूरे सैन्य सम्मान के साथ पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया। शहीद पिता को चार साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। वहीं बुजुर्ग पिता अपनी बहू और परिवार के लोगों को नम आंखों से ढंढास बंधाते नजर आए।
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दरअसल, तरनतारन के सीमावर्ती गांव दोदे सोढियां में शहीद गुरसेवक का रविवार शाम को अंतिम संस्कार किया गया। जिसमें आसपास के कई गांव के हजारों लोगों ने अपने जांबाज जवान को अंतिम विदाई दी। वहीं 4 साल के मासूम बेटे ने जब अपने शहीद पिता की अर्थी को आखिरी सैल्यूट किया तो वहां मौजूद सभी लोगों का कलेजा फट पड़ा। पूरा इलाका भारत माता की जय, गुरसेवक सिंह अमर रहें के नारों से गूंज उठा।
बता दें कि गुरसेवक सिंह का पार्थिव शरीर आर्मी के प्लेन में अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा था। एयरपोर्ट से आर्मी का काफिला पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंचा। जैसे ही पार्थिव देह गांव में पहुंची तो पूरा गांव अपने हीरो की आखिर झलक देखने के लिए उमड़ पड़ा। हर कोई अपने जांबाज का चेहरा देखना चाहता था। लेकिन सेना के अधिकारियों ने प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए चेहरा दिखाने से मना कर दिया। हालांकि जवान के परिजन मिन्नते भी करते रहे, लेकिन उन्होंने चेहरा नहीं दिखाया।
शहीद की इस अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में जनसैलाब उमड़ा था। दूर-दूर तक लोग ही लोग नजर आ रहे थे, पार्थिव शरीर के साथ कई किलोमीटर लंबा काफिला था। गांव में जहां महिलाएं अपने वीर सपूत को छत पर खड़े होकर नम आखों से सलाम कर रही थीं, तो वहीं युवा अपने इस हीरो की याद में जह हिंद और गुरसेवक सिंह अमर रहे के नारे लग रहे थे। तो बच्चे हाथों में तिरंगा लिए भारत माता की जयघोष कर रहे थे।
बता दें कि काफी देर तक शहीद के पिता और भाई-बहन और पत्नी ताबूत से लिपट-लिपट कर रोते रहे। सेना के अधिकारियों के समझाने के बाद उन्होंने ताबूत छोड़ा, वहीं शहीद के परिजनों का हाल देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
इंडियन आर्मी में सूबेदार गुरसेवक सिंह नायक के पद पर तैनात थे। सेना की 9 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट में तैनात रहते हुए उन्हें CDS बिपिन रावत की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 30 साल के जवान गरसेवक तरनतारन के सीमावर्ती गांव दोदे सोढियां के रहने वाले थे। वह अपने गांव में युवाओं के आर्दश थे, लेकिन अब बच्चे-बूढ़े और युवाओं से लेकर हर कोई उनकी याद में आंसू बहा रहा है।
बता दें कि गुरसेवक ने बचपन से ही इंडियन आर्मी में जाने का सपना देखा था। सरकारी स्कूल खालड़ा से 12वीं तक की पढ़ाई की और स्कूलिंग के बाद ही सेना में शामिल हो गए। हालांकि अब वह अपनी नौकरी के साथ हायर क्लास की पढ़ाई कर रहे थे। बताया जाता है कि डिग्री पूरी होने के साथ उन्हें प्रमोशन भी मिलने वाला था। लेकिन उससे पहल ही वह देश को अलविदा कह गए।
नायक गुरसेवक सिंह पिछले महीने नवंबर ही में अपने गांव छुट्टी पर गए हुए थे। वह अपनी बेटियों से बेहद प्यार करते थे। उनके 2 बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी सिमरन 9 साल और छोटी बेटी गुरलीन 7 साल की है। उनका बेटा फतेह सिंह सिर्फ 3 साल का है। उनके भाई ने बताया कि गुरसेवक ड्यूटी पर कितना ही क्यों थक ना जाए, लेकिन रात को अपनी बेटियों से बात जुरूर करते थे। लेकिन अब वही बच्चे पापा-पापा कहते हुए बिलख रहे हैं। 14 नवंबर को ही जवान ने छुट्टी काटकर ड्यूटी ज्वॉइन की थी। जाने से पहले वह परिवार के साथ बाबा बुड्ढा साहिब भी गया और परिवार के लिए आशीर्वाद लिया।