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1200 साल पुराना है ये रहस्यमयी मंदिर, यहां नहीं है कोई मूर्ति, फिर भी होती अनोखी पूजा
जोधपुर/अहमदाबाद. देश में नवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। नौ दिन तक चलने वाले इस पर्व में देवी मां की विशेष रूप से उपासना की जाती है। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां देवी मां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इसी मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं, एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में जहां ना तो कोई मूर्ती है और कोई पिंडी फिर नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष पूजा की जाती है।
| Published : Oct 06 2019, 06:54 PM IST / Updated: Oct 06 2019, 06:59 PM IST
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गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की पहाड़ियों पर बने इस मंदिर को लोग 'अम्बाजी का मंदिर' के नाम से जानते हैं। जानकारी के मुताबिक, यह 1200 साल पुराना है रहस्यमही मंदिर है जहां गर्भगृह में मां की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है। यहां एक श्रीयंत्र आराधना की जाती है। जिसे कोई सीधे आंखों से देखा नहीं जा सकता।
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जानकारी के मुताबिक, इन पहाड़ियों पर मां सती का हृदय गिरा था। जहां पर एक पवित्र ज्योति प्रज्ज्वलित रहती है। इसको देवी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। एक मान्यता ये भी है कि भगवान राम भी शक्ति-उपासना के लिए यहां आए थे। मान्यता के अनुसार कई लोग यह भी बताते हैं कि इसी धाम में भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था।
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सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर बहुत ही भव्य है। इसका शिखर सौ फीट से ज्यादा का है। जहां शिखर पर 358 स्वर्ण कलश लगे हुए हैं। नवरात्रि में इस मंदिर को विशेष रुप से सजाया जाता है। इस मौके पर यहां गरबा खेला जाता है।
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अम्बा जी के इस मंदिर से 3 किलोमीटर की दूर पर गब्बर पहाड़ भी मां अम्बे के पद चिन्हों और रथ चिन्हों के लिए जाना जाता है। भक्त इस पर्वत पर पत्थर से बने मां के पैरों के चिन्ह और मां के रथ के निशान देखने जरूर जाते हैं।
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इस मदिंर में जाने के लिए आप रेल,बस या हावाई के जरिए भी जा सकते हैं। आबू रोड रेलवे स्टेशन यहां से 20 किलोमीटर दूर है और वही यहा की सबसे पास की रेलवे स्टेशन है। दूसरी और आप अहमदाबाद से सड़क मार्ग से अंबाजी धाम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं यहां का सबसे करीब अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल इंटरनैशनल एयरपोर्ट है। जो यहां से महज 186 किलोमीटर दूर है।