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देश का होनहार बच्चा: न ईद पर घर गया न लॉकडाउन में..पढ़िए NEET टॉपर की कहानी..बताया अपनी सफलता का राज
कोटा. अक्सर हम जब कभी किसी सफल व्यक्ति को देखते हैं तो सोचते हैं काश, ऐसे नसीब हमारे भी होते। देखो इसे कितनी आसानी से यह कामयाबी मिल गई। लेकिन ऐसा नहीं होता, जो शिखर पर होता उसे वहां पहुचने के लिए बड़ी मेहनत करनी होती है। ऐसी ही एक कहानी सामने आई राजस्थान कोटा से स्टूडेंट की शोएब आफताब की जिसने नीट परीक्षा में सिर्फ सफलता ही हासिल नहीं कि बल्कि वो देश के टॉपर बना है। लेकिन वह अपने लक्षय के प्रति इतना सजग था कि पिछले ढाई साल से घर तक नहीं गया। आइए जानते हैं इस होनहार बच्चे की सफलता की कहानी...
| Published : Oct 17 2020, 12:17 PM IST
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720 में से 720 अंक लाकर रचा इतिहास
दरअसल. शोएब आफताब मूल रूप से उड़ीसा के राउकरेला का रहने वाला है। लेकिन पिछले तीन साल से वह कोटा शहर में NEET की तैयारी कर रहा था। शुक्रवार को आए नीट के परिणामों में शोएब ने ऐसा इतिहास रचा कि उसने 720 में से 720 अंक लाकर एक अलग ही कीर्तिमान बना दिया। शोएब की इस कामयाबी से ना उनके माता-पिता बल्कि पूरा देश उनपर गर्व करता है।
ढाई साल से नहीं गया अपने घर
बता दें कि शोएब पढ़ाई और अपने लक्षय के लिए इतना जुनूनी था कि वो पिछले ढाई साल से अपने घर तक नहीं गया। इतना ही नहीं कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन में भी वह कोटा में रहकर मेडिकल परीक्षा की तैयारी करता रहा। शोएब वर्ष 2018 में मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग के लिए कोटा आया था। जहां उसने जी जान से मेहनत करके तैयारी की। जब तक परीक्षा नहीं हो गई वह घर नहीं गया।
लॉकडाउन शोएब के लिए रहा अच्छा
शोएब ने बताया कि लॉकडाउन उसके लिए फायदे मंद रहा। इस दौरान उसने आराम नहीं किया बल्कि पहले से ज्यादा मेहनत की। बताया कि जब कोचिंग बंद हो गईं तो मुझे और ज्यादा पढ़ने के लिए समय मिल गया। इसके लिए मैंने साल भर के पढ़ाए और बनाए नोट्स को रिवाइज करता गया। सभी टॉपिक्स को बार-बार देखता गया। कोचिंग आने-जाने में जो समय लगाता था उसको घर पर ही होमवर्क करने में लगाया। मैं हर विषय के लिए बराबर समय देता था। रोजाना शेड्यूल बनाकर पढ़ाई की। खुद का पेपर बनाकर खुद ही टेस्ट देता था। मैंने लॉकडाउन के 5 महीनों का पूरा उपयोग किया।
पढ़ाई के लिए छोड़ दी ईद-दीवाली
शोएब ने बताया कि लॉकडाउन और उससे पहले कई बार मेरे घरवालों और पापा का फोन आता था। तुम घर आ जाओ लेकिन मैं उनको हर बार मना कर देता था। यहां तक मैं ना दो ईद पर घर गया और ना ही मैंने दीवाली मनाई। सोच लिया था कि जब तक सफल ना हो जाऊं सब छोड़ दूंगा। जब कभी कोचिंग से छुट्टियां मिलती तो मे कोटा में रहकर पढ़ाई करता था। जब सब घर गए तो मैं यहीं रूका रहा, इससे मेरी तैयारी और अच्छी हो गई।
कोटा सबसे अच्छा शहर
बता दें कि कोटा शहर शोएब को लिए बेहद पसंद है। उसका कहना है कि कोटा से अच्छा शहर भारत में और कोई शहर नहीं है। यहां से बेहतर फैसिलिटी आपको कहीं नहीं मिल सकती। अच्छी-अच्छी देश को टॉप कोचिंग क्लासेस यहां पर हैं। पढ़ने का पूरा महौल इस शहर में है।
अब शोएब का एक ही सपना
शोएब का सपना है कि वह एम्स से एमबीबीएस करने के बाद कार्डियोलॉजी में स्पेशलिस्ट बनना चाहता है। वह चाहता है कि मैं ऐसी बीमारियों का इलाज खोचना चाहता हूं जो जिनका इलाज अभी तक किसी ने नहीं तलााशा। इसलिए अलग तरह की रिसर्च करना मेरा सबसे बड़ा सपना है।
परिवार से पहला डॉक्टर बनेगा शोएब
बता दें कि शोएब के परिवार में कोई डॉक्टर परिवार नहीं है, पिता शेख मोहम्मद कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं और जिन्होंने बीकॉम तक पढ़ाई की है। वहीं मां सुल्ताना रिजया एक गृहिणी हैं और बीए पास हैं। वहीं उनके दादा बेकरी की दुकान चलाते थे। शोएब ने बताया कि मेरी बचपन से ही रुचि साइंस में थी और मेडिकल फील्ड में जाना चाहता था। पापा का भी सपना था कि मैं देश का सबसे अच्छा डॉक्टर बनूं।