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ऋषि गंगा झील में है करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी,केदारनाथ में तबाही मचाने वाली चौराबाड़ी से भी है बड़ी
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बताते चले कि चमोली के तपोवन में 6 फरवरी की सुबह करीब साढ़े 10 बजे ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिर गया था। इससे आसपास के इलाकों में बाढ़ आ गई थी। यही नदी रैणी गांव में जाकर धौलीगंगा से मिलती है इसीलिए वहां भी जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुई। सैलाब में दो पॉवर प्रोजेक्ट और बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन का बनाया ब्रिज भी तबाह हो गया। इस आपदा में 206 लोग लापता हुए थे।
उत्तराखंड के चमोली में तपोवन डेम के पास जमा मलबे से शनिवार को 5 और शव निकाले गए हैं। इनके साथ ही 6 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 67 हो गई है। तपोवन में NTPC की टनल में तलाशी अभियान अभी भी जारी है।
रेस्क्यू टीम को आसपास जमे मलबे के नीचे भी कुछ और शव दबे होने की आशंका है। वहां लोगों को खोजने के लिए NDRF और SDRF की टीमें डॉग स्क्वॉड, दूरबीन, राफ्ट और दूसरे उपकरणों का इस्तेमाल कर रहीं हैं।
नेवी के डाइवर्स ने हाथ में इको साउंडर लेकर इस झील की गहराई मापी। ये झील करीब 750 मीटर लंबी है और आगे बढ़कर संकरी हो रही है। इसकी गहराई आठ मीटर है। इसके हिसाब से झील में करीब 48 हजार घन मीटर यानी करीब 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है। अगर ये झील टूटती है तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह झील केदारनाथ के चौराबाड़ी जैसी है। 2013 में केदारनाथ के ऊपरी हिस्से में 250 मीटर लंबी, 150 मीटर चौड़ी और करीब 20 मीटर गहरी झील के टूटने से आपदा आ गई थी। इस झील से प्रति सेकंड करीब 17 हजार लीटर पानी निकला था।