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बम बांध इंसान को उड़ा देना, बच्चों की क्लास में गोलियां बरसाना..80 लोगो के हत्यारे ISIS-K की पूरी कुंडली?
काबुल. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरपोर्ट के बाहर दो आत्मघाती हमले हुए। 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। ISIS आतंकी ग्रुप के सहयोगी ISIS-K ने कथित रूप से हमले की जिम्मेदारी ली है। दो दिन पहले ही प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने कहा था, हर दिन हम जमीन पर होते हैं। ISIS-K एयरपोर्ट और यूएस एजेंसीज को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है। ISIS-K और तालिबान के बीच क्या संबंध है...?
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ISIS-K क्या है?
ISIS-K को इस्लामिक स्टेट खुरासान के नाम से भी जाना जाता है। ये नाम सेंट्रल एशिया के एक एतिहासिक क्षेत्र के नाम पर रखा गया है। यह 2015 में स्थापित किया गया था। तब ISIS नेता अबू बक्र अल बगदादी ने हाफिज सईद खान को प्रमुख के रूप में चुना था। लश्कर ए तैयबा, जमात उद दावा, हक्कानी नेटवर्क और इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान के अन्य आतंकवादी भी ISIS-K में शामिल हो गए।
ISIS-K अफगानिस्तान में कुछ सबसे भीषण हमलों के लिए जिम्मेदार है, जिसमें पिछले साल माताओं और नवजात सहित 24 लोग मारे गए थे। यूएस सिक्योरिटी थिंक टैंक, सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के मुताबिक, 2015 और 2017 के बीच इस ग्रुप ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में नागरिकों पर लगभग 100 हमले किए हैं।
ISIS-K को आत्मघाती बम विस्फोट करने के लिए जाना जाता है। ये गाड़ियों और बम पहने व्यक्ति का इस्तेमाल ब्लास्ट के लिए करते हैं। इस ग्रुप को पिछले साल जून से आतंकवादी शहाब अल-मुहाजिर लीड कर रहा है। इसके पिछले नेताओं को अमेरिका और अफगान सैनिकों ने पकड़कर मार डाला।
ISIS-K काबुल के पूर्व में कुनार और नंगरहार प्रांतों के छोटे क्षेत्रों में स्थित है। इसके पास लगभग 1,500 से 2,200 लड़ाकों की एक कोर फोर्स है। ISIS-K का पहला नेता खान जुलाई 2015 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था।
जून 2020 से ISIS-K का नेता शहाब अल मुहाजिर बना। उसे सनाउल्लाह के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में ISIS-K ने मई 2020 में कम से कम 16 लोगों की हत्या की। नवंबर में इसने काबुल यूनिवर्सिटी में फायरिंग करवाई, जिसमें कम से कम 22 लोग मारे गए। उसने छात्रों की क्लासेज में भी गोलियां चलवाईं।
ISIS-K और तालिबान के बीच क्या संबंध है?
ISIS-K का मानना है कि तालिबान कट्टरपंथी इस्लाम के लिए ज्यादा समर्पित नहीं है। भले ही तालिबान धार्मिक कानून के क्रूर प्रवर्तन के लिए कुख्यात है। ISIS-K ने एक बयान में तालिबान पर अफगानिस्तान से जासूसों को निकालने के लिए अमेरिकी सेना के साथ साझेदारी करने का आरोप लगाया।
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