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कोरोना पर बड़ी कामयाबी: कमरे में कोई संक्रमित है तो 15 मिनट में चल जाएगा पता, 98% सटीक है ब्रिटेन की ये मशीन
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कैसे काम करता है कोविड अलार्म?
कैम्ब्रिज बेस्ड डेवलपर रोबोसाइंटिफिक के बनाए गए सीलिंग-माउंटेड "कोविड अलार्म" स्किन पर मौजूद केमिकल का पता लगाता है। किसी भी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने की वजह से वाष्पशील कार्बनिक योगिको में बदलाव होने लगता है। इससे शरीर में गंध पैदा होती है। डिवाइस में लगे सेंसस इस गंध की पहचान कर लेते हैं। ये मशीन उस गंध को 98-100 प्रतिशत सटीकता के साथ पहचानती है।
मशीन बनाने वाले वैज्ञानिकों ने कहा कि अभी इस मशीन को लेकर और अधिक रिसर्च की जरूरत है। हालांकि अभी तक किए गए 54 सेंपल के विश्लेषण भी पर्याप्त हैं।
कहां इस्तेमाल हो सकती है मशीन?
कोरोना वायरस पहचानने वाली इस मशीन को स्कूलों से लेकर हॉस्पिटल, विमानों के केबिनों में इस्तेमाल किया जा सकता है। कंप्यूटर और मोबाइल पर तुरन्त इसका अलर्ट भेज सकते हैं।
इस डिवाइस की कीमत करीब 5.15 लाख रुपए है। एलएसएचटीएम में रोग नियंत्रण विभाग के प्रमुख प्रोफेसर जेम्स लोगान ने कहा कि इस डिवाइस की टेस्टिंग 2021 के अंत तक पूरी कर ली जाएगी।
प्रोफेसर ने कहा, कोरोना में यह बहुत कारगर साबित होगी। ये सटीकता के साथ तेजी से परिणाम देगी। अगर इन मशीनों को पब्लिक प्लेस में इस्तेमाल किया जाने लगा तो धीरे-धीरे कोरोना पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकते हैं।
डरहम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीव लिंडसे ने कहा, कई बीमारियों की एक अलग गंध होती है। ऐसे में हमारे रिसर्च की शुरुआत ही इसी को लेकर हुई कि क्या कोविड-19 की गंध अलग होती है? प्रोफेसर ने कहा कि हमने वायरस से संक्रमित लोगों और असंक्रमित लोगों की गंध के बीच अंतर पाया। कोविड संक्रमित व्यक्ति में एक बहुत ही अलग गंध होती है।
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