क्या वैक्सीन लगवाने से मौत हो जा रही है? सबके के लिए जरूरी है 5 झूठ और उनका सच जानना
देश में कोरोना महामारी को हराने के लिए वैक्सीनेशन का काम तेज कर दिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक 27.28 करोड़ से अधिक (27,28,31,900) वैक्सीन डोज उपलब्ध कराई गई है। 2.18 करोड़ से अधिक (2,18,28,483) वैक्सीन डोज अभी भी उनके पास उपलब्ध हैं। 56,70,350 से अधिक डोज अगले 3 दिनों के भीतर उन्हें मिल जाएगी। सरकार की इन कोशिशों को बाद भी वैक्सीन को लेकर कई भ्रामक खबरें फैल रही हैं। ऐसे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कई तथ्यों और मिथकों को स्पष्ट करने की कोशिश की है। आज हम उन्हीं मिथकों के सच को बताते हैं।
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COVID-19 वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन
मिथक- वैक्सीनेशन के लिए प्री-रजिस्ट्रेशन की जरूरत है। स्लॉट मिलने के बाद भी बुकिंग कराना जरूरी है।
तथ्य- वैक्सीनेशन के लिए किसी प्री-रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। 18 साल या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति सीधे पास के वैक्सीन सेंटर में जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इतना ही नहीं, अगर स्लॉट मौजूद है तो उसी दिन वैक्सीन भी ले सकता है।
गांवों में COVID वैक्सीनेशन की स्थिति
मिथक- गांवों में कोविड वैक्सीन के लिए ऑन-साइट या रजिस्ट्रेशन के लिए सीमित सुविधाएं हैं।
तथ्य- गांवों में रजिस्ट्रेशन के कई तरीके हैं। इसमें Co-Win पर सीएससी के जरिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके अलावा हेल्पलाइन नंबर 1075 के जरिए भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
गांवों और शहरों में वैक्सीनेशन का डिजिटल विभाजन
मिथक- वैक्सीनेशन को लेकर गांव और शहरों में अंतर है। दोनों के बीच डिजिटल विभाजन है। ऐसा इसलिए क्योंकि गांवों में लोग डिजिटल के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं हैं?
तथ्य- 1.03 लाख COVID वैक्सीनेशन सेंटर (CVCs) में से 61,842 CVC- SHC, PHC और CHC (59.7 प्रतिशत) गांवों में हैं, जहां लोग सीधे साइट पर रजिस्ट्रेशन और वैक्सीनेशन (1 मई, 2021 से 1 मई, 2021 तक) के लिए जा सकते हैं। CoWIN पर 69,995 वैक्सीनेशन सेंटर में से 71 प्रतिशत (49,883) सेंटर गांवों में स्थित हैं।
जनजातीय क्षेत्रों में वैक्सीनेशन कवरेज की स्थिति
मिथक- जनजातीय क्षेत्रों में वैक्सीनेशन कवरेज का अभाव है।
तथ्य- 3 जून 2021 तक CoWIN पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, जनजातीय जिलों में प्रति मिलियन जनसंख्या पर टीकाकरण राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 176 आदिवासी जिलों में से 128 ऑल इंडिया वैक्सीनेशन कवरेज से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय औसत की तुलना में आदिवासी जिलों में अधिक वॉक-इन वैक्सीनेशन हो रहा है।
COVID-19 वैक्सीन के कारण मौत
मिथक- कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वैक्सीनेशन के बाद 16 जनवरी से लेकर 7 जून 2021 के बीच 488 मौतें हुई हैं।
तथ्य- देश में वैक्सीनेशन के बाद बताई गई मौतों की संख्या 23.5 करोड़ खुराक में से केवल 0.0002 प्रतिशत है। कोविड पॉजिटिव से मृत्यु दर 1 प्रतिशत से अधिक है। वैक्सीनेशन इन मौतों को रोक सकता है। इसलिए, वैक्सीनेशन के बाद मरने का जोखिम COVID-19 के कारण मरने के जोखिम की तुलना में ना के बराबर है।
Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona