क्या COVAXIN बनाने में गाय के बछड़े का सीरम इस्तेमाल होता है? जान लें कैसे बनती है वैक्सीन
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लेकर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि फैक्ट्स को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। पोलियो, रेबीज और इन्फ्लुएंजा की वैक्सीन में दशकों से इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
दरअसल, नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल वेरो कोशिकाओं की तैयारी में किया जाता है। वेरो कोशिकाओं की वृद्धि के बाद पानी से धोया जाता है। फिर कई रसायनों से भी धोने का प्रोसेस है। इसे तकनीकी रूप से बफर करना कहते हैं।
बफर के बाद वेरो सेल्स को वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, जिसके बाद वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। इसके बाद यह विकसित वायरस भी मर जाता है।
इस मारे गए वायरस का उपयोग फाइनल वैक्सीन बनाने के लिए किया जाता है। यानी फाइनल बने वैक्सीन में किसी भी बछड़े के सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है।
सीरम लेने के लिए क्या करते हैं?
ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या सीरम के लिए बछड़ों की हत्या की जाती है? जवाब है नहीं। दरअसल, इसके लिए नवजात बछड़ों का ब्लड सीरम लेते हैं। बछड़ों के जन्म के 3 से 10 दिन के अंदर ये प्रक्रिया की जाती है।
वैक्सीन बनाने में बछड़ों के सीरम का काम बहुत ही सीमित है। बछड़ों के अलावा घोड़े, गिनी पिग्स, बंदर, चूहे, भेड़और मवेशी का इस्तेमाल होता है।