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Gupt Navratri 2022: गुप्त नवरात्रि में करें इन देवी मंत्रों का जाप, मिलेंगी गुप्त शक्तियां और हर काम में सफलता
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- दस महाविद्या में काली प्रथम रूप है। माता का स्वरूप हाथ में त्रिशूल और तलवार
- पूजा के लिए विशेष दिन शुक्रवार और अमावस्या है। कालिका पुराण में इनका विस्तार से वर्णन किया गया है
- काली को ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा के प्रसन्न किया जा सकता है।
- महाभारत के युद्ध में कृष्ण और अर्जुन ने कौरवों पर विजय हासिल करने के लिए माता बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी।
- भारत में मां बगलामुखी के तीन प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं।
- इनका प्राचीन स्थान दतिया के निकट है।
- इन्हें ललिता, त्रिपुर सुंदरी और राज राजेश्वरी भी कहते हैं। माता की चार भुजा और 3 नेत्र हैं।
- गुप्त नवरात्रि में इनकी पूजा करने से कई तरह की गुप्त सिद्धियां पाई जा सकती हैं।
- सर्वप्रथम महर्षि वशिष्ठ ने तारा की आराधना की थी। यह तांत्रिकों की मुख्य देवी हैं।
- तारा मां को जगृति करने के लिए ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट' मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- परेशनियों को दूर करने के कारण इन्हें तारने वाली माता तारा कहा जाता है।
- त्रिपुर भैरवी की उपासना से व्यक्ति सभी बंधनों से मुक्त हो जाता है।
- इनकी पूजा से व्यापार में लगातार बढ़ोतरी और धन सम्पदा की प्राप्ति होती है।
- इन्हें सिर्फ भैरवी के नाम से भी पूजा जाता है।
- मां कमला की साधना समृद्धि, धन, नारी, पुत्र की प्राप्ति के लिए की जाती है।
- इनकी साधना से व्यक्ति धनवान और विद्यावान हो जाता है।
- दुनिया के सभी सुख देवी कमला की पूजा से प्राप्त किए जा सकते हैं।
- इन देवी की पूजा से गृहस्थ जीवन में सुख की प्राप्ति होती है।
- मतंग भगवान शिव का भी एक नाम है। इनकी पूजा से वशीकरण जैसे सिद्धि भी पाई जा सकती है।
- तंत्र क्रियाओं में इनकी पूजा भी प्रमुख रूप से की जाती है।
- धूमावती माता को अभाव और संकट को दूर करने वाली माता कहते है।
- इनका कोई भी स्वामी नहीं है। ऋग्वेद में इन्हें 'सुतरा' कहा गया है।
- इनका स्वरूप विधवा स्त्री के समान है। ये भी तंत्र-मंत्र की देवी हैं।
- पुत्र प्राप्ति के लिए माता भुवनेश्वरी की आराधना फलदायी मानी जाती है।
- यह शताक्षी और शाकम्भरी नाम से भी जानी जाती है।
- इनकी पूजा से जीवन में तेज और मान-सम्मान मिलता है।
- इनका स्वरूप बहुत ही भयानक है। इनके उग्र रूप की पूजा ही की जाती है।
- देवी छिन्नमस्ता का मंदिर झारखंड की राजधानी रांची में स्थिति है।
- कामाख्या के बाद यह दूसरा सबसे लोकप्रिय शक्तिपीठ है।