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300 किलो का ताला, 12 किलो की चाबी, एक साल में बन पाया, पति-पत्नी ने एक खास वजह से इसे बनवाया
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ताला बनाने के पीछे की ये है कहानी
अलीगढ़ के ज्वालापुरी स्थित गली नंबर 5 में रहने वाले सत्यप्रकाश शर्मा ने 300 किलोग्राम का ताला बनाने के पीछे की कहानी बताई, जो काफी रोंचक है। उन्होंने बताया कि वे अपने पिता के साथ बचपन से ताले बनाने का काम कर रहे हैं। उनका सपना था कि एक विशालकाय ताला बनाया जाए।
पैसा कम पड़ा तो पत्नी ने की मदद
सत्य प्रकाश शर्मा ने अपनी पत्नी रुकमणि को इस ताले को बनाने में एक साल का समय लगा है। इस दौरान इसमें करीब एक लाख का खर्चा भी आया है। पैसे की कमी पड़ी तो उनकी पत्नी ने सहयोग किया। उनका कहना है कि तालों की वजह से अलीगढ़ का नाम देश-दुनिया में मशहूर है। इसलिए वे भी चाहते थे कि एक ऐसा ताला बनाया जाए, जिससे शहर की शोहरत में और चार चांद लगे।
ये है ताला की खासियत
ताले की लम्बाई 6 फुट 2 इंच और चौड़ाई 2 फुट साढ़े 9 इंच है। ताले की चाबी 40 इंच की है, जिसका वजन लगभग 12 किलो है। इसकी खासियत यह है कि यह विशेष चाबी से ही खुलेगा। सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि इस ताले को बनाने में 60 किलो पीतल का इस्तेमाल किया गया है। पीतल के अलावा लोहा भी इस्तेमाल हुआ। ताले में 10 लीवर हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।
राम मंदिर के लिए बनाना चाहते हैं ताला
दंपति ने बताया कि हमारी इच्छा थी हम कुछ ऐसा काम करें जिससे अलीगढ़ की पहचान के साथ हमारा भी नाम हो, इसीलिए हम चाहते हैं कि मोदी और योगी सरकार इस ताले को देश में लगने वाली प्रदर्शनियों में मॉडल के रूप में प्रदर्शित करे। दंपति ने कहा कि अब हमारी इच्छा है कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए भी हम शानदार ताला बनाएं।
पत्नी ने सुनाई ये कहानी
ताले को बनाने में अपने पति का सहयोग करने वाली रुकमणि शर्मा ने बताया कि उनकी ससुराल में ताला बनाने का काम होता था जिस वजह से वो भी ताला बनाना सीख गई। पति को दिल की बीमारी होने की वजह से मैंने उनका सहयोग किया और ये ताला बनाया।