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धनंजय सिंह की बढ़ रही मुश्किलें, कोर्ट ने आपराधिक रिकार्ड किया तलब, पुलिस ने बढ़ाई धारा, 20 मई को होगी सुनवाई
जौनपुर (Uttar Pradesh) । अक्सर विवादों में रहने वाले पूर्व सांसद धनंजय सिंह की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। पुलिस और कोर्ट का शिकंजा उनके खिलाफ कसता हीजा रहा है। कोर्ट ने पूर्व सांसद का अपराधिक इतिहास व केस डायरी को तलब करते हुए 20 मई अगली सुनवाई की तारीख तय की है, जबकि पुलिस ने धनंजय के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र की धारा भी बढ़ा दी है। बता दें पचहटिया स्थित जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने लाइन बाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ तहरीर देकर अपहरण और धमकी देने का मामला दर्ज कराया है। इसके बाद पुलिस ने घर से धनंजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
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प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को 5:30 बजे की घटना दिखाते हुए रात 10:00 बजे धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ लाइन बाजार थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप लगाया कि विक्रम सिंह, दो अन्य लोगों के साथ उनकी साइट पर आ कर बलपूर्वक उन्हें धनंजय सिंह के आवास पर ले गए थे।
धनंजय ने काले रंग की पिस्टल दिखाते हुए उन्हें गालियां दी। जबरन कम गुणवत्ता वाली सामग्री हमारी फर्म को आपूर्ति करना चाहते थे। इंकार करने पर धमकी दी गई, जिसकी एफआईआर थाने में दर्ज कराई गई।
पुलिस ने दोनों को उनके आवास से गिरफ्तार किया और सोमवार को अदालत में पेश किया। अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका निरस्त कर आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। कोर्ट ने पूर्व सांसद का अपराधिक इतिहास व केस डायरी को तलब करते हुए 20 मई अगली सुनवाई की तारीख तय की है। लोअर कोर्ट से जमानत निरस्त होने पर मंगलवार को सेशन कोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र दिया गया है।
पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ मामले में आपराधिक षड्यंत्र की धारा 120-बी भी बढ़ा दी है। धारा 364, 386, 504 व 506 में केस दर्ज हुई थी। पूर्व सांसद की ओर से दिए गए जमानत प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि उनके खिलाफ फर्जी एफआईआर प्रोजेक्ट मैनेजर द्वारा दर्ज कराई गई है।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह का कहना है कि न तो उन्होंने प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराया, न गालियां व धमकी दी। इतना ही नहीं कभी मटेरियल इत्यादि के संबंध में उनसे रंगदारी भी नहीं मांगी। न ही इस संबंध में कभी कोई षड्यंत्र ही उनके द्वारा रचा गया। धनंजय सिंह की अचानक गिरफ्तारी और चंद घंटों मे सलाखों के पीछे जाने की खबर से जिले में तमाम चर्चाए हैं।
बता दें कि धनंजय सिंह 27 साल की उम्र में साल 2002 में रारी (अब मल्हनी) विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया था। वह दोबारा इसी सीट पर जेडीयू के टिकट से जीते थे, फिर धनंजय सिंह बसपा में शामिल हुए। साल 2009 में वह बसपा के टिकट पर जीत दर्ज कर जौनपुर से सांसद हुए।
धनंजय सिंह को बसपा सुप्रमो मायावती ने साल 2011 में पार्टी से निकाल दिया था। बसपा से अलग होने के बाद भी धनंजय अपने समर्थकों के दम पर राजनीति में खुद को असरदार बनाए रहे।
जौनपुर से वर्ष 2014 में निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ा था, मगर हार गए। साल 2017 में धनंजय सिंह मल्हनी सीट से निषाद पार्टी के बैनर से विधानसभा चुनाव लड़े थे, तब दूसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि, साल 2019 का लोकसभा चुनाव वह नहीं लड़े।