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रामलला के दर्शन को अयोध्या आए तो देखें ये 10 पौराणिक स्थान, यह है मान्यता, चाहकर भी नहीं हटा पाएंगे नजर
अयोध्या (Uttar Pradesh) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण की नींव रखेंगे। इसकी तैयारियां अंतिम दौर में है। हर कोई पांच अगस्त का इंतजार कर रहा है। रामभक्त न जाने कब से इस पल की आस लगाए बैठे हुए हैं। बता दें कि आगामी सालों में ये मंदिर भारत के पर्यटक स्थलों में शुमार हो जाएगा। लेकिन, आपको बता दें कि रामनगरी अयोध्या में आकर्षण का केंद्र सिर्फ राममंदिर ही नहीं बल्कि 10 बेमिसाल जगह भी हैं। जहां कि पौराणिक मान्यता भी काफी रूचिकर है। जिनके बारे में बताने के साथ-साथ हम आपको वहां की तस्वीर भी दिखा रहे हैं।
| Published : Jul 30 2020, 01:49 PM IST / Updated: Jul 30 2020, 01:50 PM IST
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राम मंदिर के बाद जिस जगह के नाम से अयोध्या शहर जाना जाता है वो हनुमानगढ़ी है। ये शहर के बीचो बीच बसा हुआ है। यहां घूमने वाला हर व्यक्ति राम मंदिर के बाद हनुमान गढ़ी का दीदार करने जरूर जाता है।
श्रीराम के सेवक हनुमान के इस विशाल मंदिर की मान्यता है कि अयोध्या आने वाले हर व्यक्ति को सबसे पहले इस मंदिर में बजरंगबली के दर्शन करने चाहिए। उसके बाद ही उन्हें दूसरे मंदिर जाना चाहिए।
हनुमान गढ़ी में बने कुंड को दंतधावन कुंड के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि श्री राम सुबह इस कुंड के जल से अपने दांत साफ करते थे।
सरयू तट का जिक्र रामायण किया गया है, जो अयोध्या में है। पूरा अयोध्या ही इसी तट पर बसा है। कुछ समय पहले ही इस तट का कायाकल्प किया गया है,जिसमें हजारों श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने आते हैं। हरिद्वार में बसी हर की पौड़ी की तर्ज पर इस तट पर बने घाटों को राम की पौड़ी भी कहा जाता है।
सरयू तट में नहाने वाले लोग यहां पर स्थित कई मंदिरों के दर्शन भी करते हैं। यहां पर स्थित राजा मंदिर की वास्तुकला की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
इस मंदिर की कलाकृति और बनावट आपको आश्चर्य की दुनिया में ले जाने के लिए काफी हैं। यहां का माहौल नदी के किनारे होने के चलते काफी अद्भुत रहता है।
सीता की रसोई भी अयोध्या आने वालों के लिए आस्था का विषय रहता है। माना जाता है ये जगह माता सीता की रसोई हुआ करती थी, जो बाद में मंदिर में बदल गया। इस मंदिर के एक कोने में रसोई घर का मॉडल भी है, जहां पुराने बर्तन रखे हुए हैं।
अयोध्या के उत्तरपूर्व में बना यह विशाल मंदिर अपनी अनोखी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि माता सीता को विवाह के बाद उपहार में यह भवन दिया गया था।
राजा दशरथ का महल भी शहर के बीच मौजूद है। श्रीराम के पिता राजा दशरथ का ये महल काफी प्राचीन और भव्य है। बताया जाता है कि प्रभु राम का बचपन इसी महल में बीता था। यहां के परिसर में भारी संख्या में जमा होकर श्रद्धालु भजन और कीर्तन गाते हैं।
श्रीराम मंदिर को बनाने के लिए अयोध्या में एक कार्यशाला का निर्माण किया गया है। यहां विशाल पत्थर रखे गए हैं जिसमें सुंदर नक्काशी की गई है। अयोध्या आने वाला व्यक्ति इस कार्यशाला में इस उत्सुकता के चलते आता है, ताकि उसे राम मंदिर में होने वाले निर्माण की एक हिंट मिल जाए।
दिगंबर जैन मंदिर भी अयोध्या के पवित्र तीर्थों में से एक कहा जाता है। दिगंबर जैन मंदिर के बारे में मान्यता है कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) का जन्म भी अयोध्यानगरी में यहीं हुआ था।
दिगंबर जैन मंदिर में स्वामी ऋषभदेव की भव्य प्रतिमा मौजूद है। रायगंज में मौजूद 31 फीट ऊंची मूर्ति श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।