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कानपुर वाले विकास दुबे का सबसे बड़ा राज, क्या था खौफनाक गैंगस्टर का आखिरी 'कबूलनामा'
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एसटीएफ के सूत्रों ने बताया कि उज्जैन से गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे को कानपुर लाया जा रहा था। इस दौरान रास्ते भर एसटीएफ की टीम उससे पूछताछ करती रही। इस दौरान विकास ने ऐसी जानकारियां दीं जो पुलिस के लिए भी हैरान करने वाली हैं।
पुलिस ने बताया कि विकास दुबे को डर था कि सीओ देवेन्द्र मिश्रा उसका एनकाउंटर कर सकते हैं, उसे उसके पुलिस के मुखबिरों से सूचना भी यही मिली थी कि उसका एनकाउंटर किया जा सकता है। उसने बताया कि सीओ देवेन्द्र मिश्रा से काफी पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी, एनकाउंटर के डर और सीओ से गुस्से में ये काण्ड हो गया।
विकास ने एसटीएफ को बताया कि उसकी मंशा पुलिस कर्मियों को मरने की बिलकुल नहीं थी, वह बस उन्हें घायल कर उनके अंदर दहशत पैदा करना चाहता था। लेकिन साथियों ने नशे की हालत में अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. उस समय ये नहीं समझ में आया कि इससे कितने लोगों की मौत हो सकती है।
विकास के मुताबिक़ उसके सभी साथी उसके मामा प्रेम प्रकाश की छत पर मौजूद थे, जबकि वह स्वयं अपने घर की छत पर था। अतुल और अमर ने काफी ज्यादा शरब पी रखी थी। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। बस वह फायर पर फायर किए जा रहे थे।
पुलिसवालों की तरफ से जब हमें शांति दिखी तब हम लोग नीचे आए वहां देखा कि कई पुलिसवालों की लाशें गिरी हैं। सामने सीओ देवेन्द्र मिश्रा भी गिरे थे। मैंने उनके पैर में एक गोली मारी। हम पुलिसवालों के लाशों को पेट्रोल से जलाना चाहते थे लेकिन समय कम था और भारी पुलिस बल किसी भी समय वहां पहुंच सकता था इसलिए हम वहां से भाग निकले ।
एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक विकास ने बताया कि वो वारदात को अंजाम देने के बाद अतुल के साथ पैदल ही शिवली के लिए निकल गया। उसने गैंग के दूसरे लोगों को सुरक्षित स्थान पर भागने के लिए कहा , उसके मुताबिक व जान गया था कि इस घटना के बाद पुलिस उन्हें कुत्तों की तरह ढूंढेगी। इसलिए वह सभी लोग अलग-अलग हो गया। वहां एक करीबी के घर दो दिन बिताया।
तीसरे दिन विकास के एक करीबी और नगर पालिका के पदाधिकारी ने सिल्वर कलर की हुंडई कार से अमर, अतुल के साथ उसे कानपुर से बाहर भेज दिया। विकास के मुताबिक वह नोएडा के रास्ते सीधे दिल्ली गया और वहां वकीलों से बात की, वकीलों ने उसे सरेंडर होने की सलाह दी और सरेंडर करवाने के एवज में 50 हजार रूपए एडवांस में मांगे।
जिसके बाद विकास कानपुर से ले गई कार वापस भेजकर बस से फरीदाबाद में अपने एक करीबी के घर आकर रुक गया। वहां एक दिन रुकने के बाद मैं वापस दिल्ली आया और वकीलों से मुलाकात की। वहां से वह फिर फरीदाबाद आना चाहता था लेकिन इसी बीच उसके साथ ही फरीदाबाद में रहे साथी प्रभात मिश्र की गिरफ्तारी की सूचना के बाद वह वहां से जयपुर जाने वाली बस में बैठ गया।
विकास ने एसटीएफ को बताया कि जयपुर से वह झालावाड़ गया वहां एक दिन रुकने के बाद उज्जैन आ गया। उज्जैन में ही सरेंडर करने का प्लान था, वकीलों से यही बात हुई थी कि सरेंडर के बाद वह कोर्ट में एक याचिका डाल देंगे जिससे पुलिस उसका एनकाउंटर न कर पाए। अतुल और अमर की मौत की सूचना ने विकास को अंदर से झकझोर दिया था। उज्जैन में सरेंडर करने का प्लान भी फेल हो गया और वहां विकास गिरफ्तार हो गया।
उज्जैन से विकास दुबे को वापस लेकर आ रही यूपी एसटीएफ की गाड़ी कानपुर के पास पलट गई। जिसके बाद दारोगा की पिस्टल छीनकर पुलिस पर फायरिंग करते हुए भाग रहा गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया।