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जानिए, क्यों इसी गांव में दीपावली मनाने आते हैं CM योगी, कौन हैं ये वनटांगिया,जिनके बच्चों को देते हैं गिफ्ट

गोरखपुर (Uttar Pradesh) । सीएम योगी आदित्यनाथ इस बार भी कुसम्ही जंगल में बसे पांच वनटांगिया गांवों में वनटांगिया लोगों के बीच दीपावली मनाने गए थे। हमेशा की तरह इस बार भी वनटांगिया लोगों के बच्चों को गिफ्ट में टॉफी, लड्डू, स्वेटर आदि दिए। बता दें कि सीएम के प्रयासों से आज इन गांवों में वह हर जरूरी सुविधा मुहैया है, जो शहरी बस्तियों में होती है। सांसद के रूप में योगी ने वनटांगिया समुदाय के लोगों के लिए जो संघर्ष किया, मुख्यमंत्री बनने के बाद सौगात में तब्दील कर दिया। वर्ष 2009 से योगी वनटांगिया लोगो के बीच दिवाली मनाते हैं, मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सिलसिला बदस्तूर जारी है। 

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Asianet News Hindi
Published : Nov 15 2020, 01:06 PM IST| Updated : Nov 16 2020, 08:46 AM IST
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पहले यह जानते हैं कि वनटांगिया लोग हैं कौन। जी हां, अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया था। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए।

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कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास न तो खेती के लिए जमीन थी और न ही झोपड़ी के अलावा कोई निर्माण करने की इजाजत।
 

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वनटांगियां लोग पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। और तो और इनके पास ऐसा कोई प्रमाण भी नहीं था जिसके आधार पर वह सबसे बड़े लोकतंत्र में अपने नागरिक होने का दावा कर पाते। समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय।
 

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साल 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने। उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं। नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी। इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को।

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मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज तीन दिवाली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया। 
 

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राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है। 

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वनटांगिया गांवो में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस है। बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

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कहा जाता है कि वन ग्राम जब लोकसभा क्षेत्र सदर में 2009 में शामिल हुआ, तभी से योगी आदित्यनाथ का वनटांगियों की समस्याओं को अपनी समस्या मानते हुए उनके लिए संघर्ष में शामिल हुए थे। वन टांगियों के हर घर -घर दीप जलाने के लिए तभी से अनवरत उनके साथ दीपोत्सव मनाते रहे हैं।-(फाइल फोटो)

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