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8 बार सांसद..3 बार मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक रहे, जो चाहा वो पाया..लेकिन अधूरी रह गई आखिरी दिली इच्छा
लखनऊ. भाजपा के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया। 9 बजे उन्होंने 89 साल की उम्र में लखनऊ के पीजीआई में आखिरी सांस ली। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी में तेज तर्रार नेताओं में होती थी। वह कोई भी बयान देने से नहीं चूकते थे। वह देश के उन नेताओं में शामिल थे जिन्हें राम मंदिर निर्माण के लिए सबसे प्रमुख्य माना जाता है। पढ़िए आखिर कल्याण सिंह की क्या ख्वाहिश रह गई अधूरी...
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कल्याण सिंह ने अपने जीवन में जो चाहा वह पाया। कैसे वह एक छोटे से गांव से निकलकर यूपी के तीन बार सीएम रहे। उन्हें राम मंदिर निर्माण के लिए सबसे मुखर आवाजों में से एक माना जाता था। उनके ही कार्यकाल में 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस किया गया था। लेकिन एक इच्छा अधूरी रह गई और वह थी भव्य राम मंदिर देखने की।
प्रधानमंत्री मोदी ने जैसे ही साल 2020 में राम मंदिर की नींव रही सबसे ज्यादा खुशी कल्याण सिंह को हुई। उन्होंने कहा- मेरी इच्छा राम काज की थी, वह पूरी हो गई। बस अब एक ही इच्छा है कि मेरे जीवनकाल में जल्द से जल्द भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाए। मैं प्रभु राम के जन्मस्थान की भव्यता का दर्शन कर चैन से मरना चाहता हूं ।
इतना ही नहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस और राम मंदिर की चाहत में उन्होंने अपनी सीएम की कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। उन्होंने खुद कहा था किअयोध्या में जो कुछ हुआ उसकी जिम्मेदारी लेते हैं 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि ढांचा गिराए जाने का मलाल न तो तब था, न अब है। वह राम मंदिर बनने के लिए इतना खुश हूं कि अब मैं चैन से मर पाऊंगा। बढांचा नहीं बचा, मुझे कोई गम नहीं इस बात का। उन्होंने आगे कहा जो हुआ सब भगवान राम की इच्छा से हुआ, मुझे इस बात का कोई दुख नहीं है। बस जीते जी भव्य राम मंदिर देखने की अंतिम ख्वाहिश पूरी हो जाए।
कल्याण सिंह आठ बार विधायक, दो बार सांसद तीन बार उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान के गवर्नर भी रहे। हालांकि यह बात अलग है कि वह अपना पहला ही चुनाव हार गए थे