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50000 लोग 'सोमनाथ' में हाथ जोड़े खड़े थे, कर दिए गए कत्ल, पढ़िए 1026 से 2020 तक मंदिर का रहस्य
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ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण ईसा के पूर्व अस्तित्व में आया था। हालांकि सही तरीके से इसका निर्माण 7वीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने कराया। लेकिन 8वीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इस पर हमला किया। इसके बाद नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका फिर से निर्माण कराया। इसके बाद राजा राजा भोज और गुजरात के राजा भीमदेव ने इसकी दुबारा मरम्मत कराई। 1169 में नये सिरे से यह मंदिर तैयार हुआ।
सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। नये भारत में सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई, 1950 को मंदिर के नये निर्माण की आधारशिला रखी। इसके बाद 11 मई, 1951 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसमें ज्योतिर्लिंग स्थापित कराया।
यह तस्वीर महमूद गजनवी की है
सोमनाथ पर मुगलकाल में यानी 1706 में ओरंगजेब ने भी हमला किया था। मौजूदा मंदिर पर 1250 कलश लगे हुए हैं। हर कलश औसतन 3 किलो वजन का है। वर्तमान मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फीट है।
ताजा घटनाक्रम: नये सर्वे में सामने आया है कि सोमनाथ मंदिर के नीचे L शेप की तीन मंजिला इमारत है। आखिर इसमें क्या है और इसे क्यों बनवाया गया था, इस पर रिसर्च चल रही है।
सोमनाथ एक ऐतिहासिक सूर्य मंदिर है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। माना जाता है कि इसका निर्माण खुद चंद्रदेव ने कराया था।
मंदिर के पास ही दिग्विजय द्वार से कुछ दूर सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टेच्यू और आसपास बौद्ध गुफाएं हैं।