विशाखापट्टनम गैस लीक ने लोगों को याद करवाया 36 साल पुराना हादसा, लाशों से भर गई थी सड़कें
हटके डेस्क: 7 मई को सुबह आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में एक फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ। इस गैस की वजह से हजारों लोग अस्पताल में भर्ती हैं जबकि अभी 8 लोगों की मौत की खबर है, जो आगे बढ़ सकती है। गैस लीकेज सुबह के वक्त हुआ, जब सो रहे लोगों को अचानक अजीब से बदबू आई और उन्हें सांस लेने में परेशानी होने लगी। जान बचाने के लिए लोग भागने लगे लेकिन रास्ते में ही कई लोग बेहोश हो गए। इस गैस रिसाव ने आज से 36 साल पहले हुए भोपाल गैस त्रासदी की यादें ताजा कर दी। आपको दिखाते हैं भोपाल गैस हादसे की वो दर्नाक तस्वीरें, जब सड़कों पर लाशों के ढेर लग गए थे...
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विशाखापट्टनम में जहरीली गैस के रिसाव ने 2 दिसंबर 1984 को हुए भोपाल गैस ट्रेजेडी की याद दिला दी। जब ऐसे ही लोगों को साँस लेने में दिक्कत होने लगी थी और जान बचाते लोगों की भागने के दौरान मौत हो गई थी।
भोपाल गैस त्रासदी को दुनिया के सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता है। विशाखापट्टनम की ही तरह उस समय भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।
जहां विशाखापट्टनम गैस लीक तड़के सुबह हुआ, वहीं भोपाल गैस त्रासदी आधी रात को हुई थी। सुबह जब अन्य लोगों की नींद खुली, तो रास्ते लाशों से भरे थे।
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का हादसा विशाखापट्टनम गैस लीक से भयानक था। सरकारी आँकड़ों में तो मरने वालों की संख्या 3 हजार 787 दर्ज है, लेकिन कहा जाता है कि इस हादसे में 15 हजार लोगों की मौत हुई थी।
2-3 दिसंबर 1984 को हुए इस हादसे में फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ। आसमान में इस गैस के बादल छा गए थे। ऐसे में जो लोग इस गैस की चपेट में आए, दम घुटने से मारे गए।
जिन लोगों की जान बच गई और वो इस गैस की चपेट में आए थे, उनमें से कई लोग मनोरोगी हो गए।
कई लोगों को लकवा मार गया। आज भी इस फैक्ट्री के आसपास रहने वाले लोगों के घरों में जन्म लेने वाले बच्चों को किसी ना किसी तरह की शारीरिक अपंगता के साथ पैदा होना पड़ता है।
हादसे से प्रभावित लोगों को अब भी कैंसर, ट्यूमर, सांस और फेंफड़ों की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।
अब 36 साल बाद विशाखापट्टनम में फार्मा कंपनी में हुए गैस लीक से भी सड़कों पर वैसे बेहोश होते लोग दिखाई दिए। हालांकि इस रिसाव को जल्द काबू में कर लिया गया।