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पाकिस्तान में चेन से बांध कुत्तों की तरह घसीटा गया, रोज सताता था मौत का डर; एक अल्पसंख्यक लड़की की कहानी
लंदन. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किसी से छिपा नहीं है। खासकर हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों की कहानी तो और भी दुखभरी है। इन लड़कियों को पहले अगवा किया जाता है, फिर जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। हालांकि, पाकिस्तान की ईसाई महिला आसिया बीबी की कहानी थोड़ी अलग है, लेकिन उनके साथ हुए अत्याचार को याद कर वे रोने लगती हैं। आसिया को ईशनिंदा के आरोप में आठ साल जेल में बिताने पड़े। उन्हें उम्मीद थी कि वे एक दिन रिहा हो जाएंगीं।
| Published : Mar 01 2020, 01:07 PM IST / Updated: Mar 01 2020, 04:18 PM IST
पाकिस्तान में चेन से बांध कुत्तों की तरह घसीटा गया, रोज सताता था मौत का डर; एक अल्पसंख्यक लड़की की कहानी
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ईशनिंदा के आरोप में आसिया को मौत की सजा सुनाई गई थी। लेकिन हाल ही में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया। आसिया बीबी कहती हैं कि उन्हें हमेशा से विश्वास था कि एक दिन वह मुक्त होंगी।
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बीबीसी को शुक्रवार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने जेल में मिलीं यातनाओं और बुरे व्यव्हार को भी याद किया है। आसिया फिलहाल कनाडा में रहती हैं। उनके चार बच्चे हैं।
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आसिया बताती हैं कि उन्हें जेल में चेन से बांधा जाता था, कुत्तों की तरह घसीटा जाता था। अधिकारी कहते थे कि धर्म बदल लो तुम्हें छोड़ दिया जाएगा।
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2010 में आसिया को ईशनिंदा का दोषी ठहराया गया था। पड़ोसियों ने झगड़े के बाद आसिया पर इस्लाम और पैगंबर का अपमान करने का आरोप लगाया था। हालांकि, आसिया हमेशा यह कहती रहीं, कि वे निर्दोष हैं।
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वे कहती हैं कि कष्ट के समय उनके धर्म ने उनकी मदद की। आसिया ने बताया, '' पाकिस्तानी अधिकारियों ने मुझसे कहा कि तुम अपना धर्म बदल लो, तुम्हें मुक्त कर दिया जाएगा। लेकिन मैंने कहा कि नहीं, मैं अपने धर्म के साथ अपनी सजा का सामना करूंगी।''
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उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा विश्वास था कि उन्हें बरी कर दिया जाएगा। आसिया ने बताया कि उन्हें उनके पति ने बताया था कि उनके लिए पूरी दुनिया में प्रार्थनाएं की जा रही हैं। यहां तक कि पोप ने भी प्रार्थना की है। इससे उन्हें खुशी मिली। उन्हें यकीन हो गया था कि वे बरी होंगी।
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उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील की कि वे ईशनिंदा में गलत तौर पर आरोपी बनाए गए और दोषी ठहराए गए हर व्यक्ति को रिहा करें तथा आरोपों की उचित जांच कराएं।
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बीबी को अब भी उम्मीद है कि वे एक दिन पाकिस्तान लौटेंगी। उन्होंने कहा, ''मैंने खुद देश छोड़ा क्योंकि मुझे वहां खतरा था। वहां मुझे कभी भी कुछ भी हो सकता था। इसीलिए मैंने अपना देश छोड़ा। लेकिन मेरे दिल में अब भी अपने देश के लिए पहले जैसा ही प्यार है। मैं अब भी अपने देश का सम्मान करती हूं और मैं वह दिन देखना चाहती हूं जब मैं वहां वापस जा सकूं।''
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पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2018 को बीबी को ईशनिंदा के आरोपों से बरी कर दिया था। हालांकि, पाकिस्तान के कट्टर समूहों और राजनीतिक दलों ने इसका खुलकर विरोध किया।
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आसिया बीबी के पति आशिक मसीह ने एक वीडियो के माध्यम से अमेरिकी राष्ट्रपति, ब्रिटेन और कनाडा के प्रधानमंत्रियों सहित दुनियाभर के नेताओं से आग्रह किया था कि वे बीबी को पाकिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करें।
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सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में 1987 से 2017 तक ईशनिंदा कानून के तहत 720 मुसलमानों, 516 अहमदियों, 238 ईसाइयों और 31 हिन्दुओं को आरोपी बनाया गया है।
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पाकिस्तान में 1.6% ईसाई हैं। इनमें से ज्यादातर वे लोग हैं जो ब्रिटिश सरकार में हिंदू से ईसाई बने थे। आसिया बीबी ने अपनी किताब में लिखा है कि पाकिस्तान में ईसाई समुदाय भेदभाव और प्रताड़ना का शिकार होता है।