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यहां सिर्फ 100 रुपए में मिल रहे आलीशान घर, समुद्री तटों और पहाड़ियों के बीच बसा है खूबसूरत गांव
रोम. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर है। यूरोप में लाखों लोग कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं। यूरोप में इटली सबसे प्रभावित देशों में रहा है। लेकिन यहां एक ऐसा गांव भी है, जहां अब तक कोरोना नहीं पहुंचा है। इसके बावजूद यहां संपत्तियां को कौड़ियों के दाम में बेचा जा रहा है। यहां घरों को सिर्फ 1 पाउंड यानी करीब 95 रुपए में बेच रहे हैं। आईए जानते हैं कि इसकी क्या वजह है?
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इटली के एक छोटा से गांव में संपत्तियों को 1 पाउंड में बेचा जा रहा है। क्यों कि यहां प्रशासन ने इस क्षेत्र को दोबारा बसाने के लिए मुहीम शुरू की है। प्रशासन इस क्षेत्र में निवेश चाहता है। इससे यह क्षेत्र फिर से विकसित हो सके।
इटली में लॉकडाउन खत्म हो चुका है। यहां बॉर्डर भी खोल दिए गए हैं। ऐसे में इस गांव ने खुद को कोरोना फ्री घोषित किया है। यहां अब तक एक भी केस सामने नहीं आया है। क्षेत्र के मेयर ने इस मुहीम को ऑपरेशन ब्यूटी नाम दिया है।
कैलाब्रिया के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित सिंक्यूफ्रोंडी (Cinquefrondi) में पोस्टकार्ड लगाए गए हैं। यहां संपत्ति को काफी कम कीमत पर भेजा जा रहा है।
मेयर मिचेल कोनिया ने कहा, यहां पहाड़ियों के बीच दो समुद्र के बीच हैं। थोड़ी दूरी पर एक नदी भी बहती है। इस जगह से सिर्फ 15 मिनट की दूसरी पर समुद्र तट हैं। लेकिन पूरा कस्बा खाली कर दिया गया है। क्यों कि यहां खाली घर भी अस्थिर और जोखिम भरे हैं।
जो खरीददार प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं, उन्हें सिर्फ 1 पाउंड देना होगा। हालांकि, इसके बाद उन्हें 224 पाउंड (21413 रुपए )का बीमा करना होगा। यह जब तक प्रॉपर्टी को रेनोवेट नहीं करता तब तक सालाना देना होगा।
अगर कोई खरीददार घर को तीन साल तक रेनोवेट नहीं करता तो 17 लाख रुपए का फाइन भी देना होगा।
इस गांव के ज्यादातर लोग बड़े शहरों में रहने लगे हैं। मेयर ने सीएनएन से बातचीत में बताया कि लोगों द्वारा छोड़े गए घरों के लिए नए मालिकों को खोजना मिशन का अहम हिस्सा है। मिशन ब्यूटी इस शहर को दोबारा बसाने के लिए शुरू किया गया है।
उन्होंने कहा, कोरोनोवायरस महामारी के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसने पूरे इटली में छोटे गांवों और कस्बों को बाधित किया है। यहां पर्यटन व्यापार में भारी गिरावट आई है। संपत्ति की कीमतों में गिरावट हुई है।
उन्होंने बताया कि यहां कई लोग दशकों पहले घरों को छोड़कर चले गए। लेकिन हम हार नहीं मान सकते।