भारत में मिला करारा जवाब तो इस देश को सताने लगा चीन, जमीन पर ठोका अपना दावा
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चीन के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा, चीन और भूटान की सीमा कभी तय नहीं हुई। पूर्वी, मध्य और पश्चिमी सीमा पर लंबे समय से दोनों देशों के बीच विवाद चला रहा है। इतना ही नहीं चीन ने भारत का नाम लिए बगैर कहा, भूटान-चीन सीमा विवाद में किसी तीसरे पक्ष को उंगली नहीं उठानी चाहिए।
लंबे वक्त से चल रहा विवाद
भूटान और चीन में सीमा को लेकर लंबे वक्त से विवाद चला रहा है। दोनों देशों के बीच 1984 से 2016 तक 24 दौर की बातचीत भी हो चुकी है। इस दौरान मध्य और पश्चिमी सीमा को लेकर चर्चा हुई है।
सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य को बताया था विवादित
29 जून को ग्लोबल इन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल की 58वीं बैठक में चीन ने सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य को फंडिंग का विरोध जताया था। चीन ने दावा किया था कि भूटान के सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य की जमीन विवादित है।
चाल नहीं हुई सफल
चीन के विरोध के बावजूद भूटान को फंडिंग मिली। लेकिन चीन ने एक बार फिर अपने मंसूबों को सबके सामने रख दिया है। इससे पहले चीन के दावे पर भूटान ने चीन डिमार्श भेजा था। इसमें भूटान ने कहा था, हम साफ कर देना चाहते हैं कि यह जमीन हमारे देश का अटूट हिस्सा है।
माना जा रहा है कि चीन भूटान को इसलिए तंग कर रहा है क्यों कि भूटान के भारत के साथ अच्छे संबंध हैं। चीन भूटान पर दबाव डालकर उसे अपने पक्ष में लाने की फिराक में है। हालांकि, इस पर भारत का अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
चीन ने कहा- 14 में से 12 देशों के साथ सीमा समझौता
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख से चीन को संकेत दिया था कि उसकी विस्तारवादी नीति अब नहीं चलने वाली। इसपर चीनी दूतावास ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि चीन के 14 पड़ोसियों में से 12 के साथ सीमा समझौता है। लेकिन जानकारों का मानना है कि चीन ने छोटे देशों के साथ अपने शर्त पर समझौता किया है।
रूस के शहर पर भी ठोका दावा
चीन ने रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर दावा ठोका है। यह शहर कभी किंग राजवंश से संबंधित था। रूस ने द्वितीय अफीम युद्ध में चीन को हराने के बाद इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। चीन को यह क्षेत्र रूस को देना पड़ा। इसके लिए दोनों देशों के बीच 1860 में एक संधि भी हुई थी। तब से यह शहर रूस के आधिपत्य में है, लेकिन चीन ने इस संधि को मानने से इनकार कर दिया है।