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ये 10 वैक्सीन जो कोरोना वायरस का करेंगी खात्मा, दुनियाभर को है इनसे उम्मीद

नई दिल्ली. कोरोना वायरस का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस महामारी को थामने के लिए दुनियाभर के तमाम देश वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। हालांकि, अभी किसी को सफलता नहीं मिली है। लेकिन कोरोना के खिलाफ इस जंग में कुछ देशों ने उम्मीद जगाई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस रफ्तार से कोरोना की वैक्सीन पर काम किया जा रहा है, वो आसाधारण है। ऐसे में हम आपको 10 ऐसी वैक्सीन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अभी काफी हद तक सफलता मिली है और माना जा रहा है कि ये दुनिया को कोरोना से बचा सकती हैं। हालांकि, हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि कभी-कभी वैक्सीन बनाने में सालों लग जाते हैं। इबोला की वैक्सीन इसका उदाहरण है। इसे बनाने में 16 साल लगे। आईए जानते हैं कि दुनिया को किन वैक्सीन से उम्मीदें हैं...

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Asianet News Hindi
Published : May 10 2020, 12:53 PM IST| Updated : May 10 2020, 12:56 PM IST
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तीन चरणों में होती है परीक्षण की प्रक्रिया
पहले कंपनियां एंटीबॉडी तैयार करती हैं। फिर इनका तीन चरणों में परीक्षण होता है। पहले चरण में बहुत कम लोगों पर इसका टेस्ट होता है। अगर उनपर असर दिखता है तो दूसरे चरण में लोगों की संख्या बढ़ाई जाती है। इसके लिए कंट्रोल ग्रुप्स भी बनाए जाते हैं, ताकि ये पता लग सके कि वैक्सीन कितना सुरक्षित है। तीसरे चरण में वैक्सीन की खुराक का परीक्षण होता है कि सामान्य मनुष्य को कितना खुराक दिया जाए।  

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1- चीन में बंदरों पर हुआ सफल ट्रायल
चीन के बीजिंग में मौजूद साइनोवैक बायोटेक कंपनी का दावा है कि उसने कोरोना की वैक्सीन बना ली है। इस वैक्सीन के जरिए बंदर को कोरोना के संक्रमण से बचाया गया है। कोरोना की वैक्सीन को पिछले दिनों 8 बंदरों को दी थी। तीन हफ्ते बाद बंदरों की दोबारा जांच की गई। इसमें चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। बंदरों के फेफड़ों में ट्यूब के जरिए वैक्सीन के रूप में कोरोना वायरस भी डाला गया था। तीन हफ्ते बाद पता चला कि 8 बंदरों में से किसी को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ।

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साइनोवैक कंपनी के डायरेक्टर मेंग विनिंग ने बताया, जिस बंदर को सबसे ज्यादा डोज दी गई। उसमें कोरोना वायरस के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। वहीं, जिन बंदरों को कम डोज दी गई, उनमें हल्के लक्षण दिखे, हालांकि, बाद में उन्हें भी कंट्रोल कर लिया गया।

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2- 47D11 वैक्सीन- नीदरलैंड्स को मिला सफलता
नीदरलैंड्स में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। बताया जा रहा है कि यहां वैज्ञानिकों द्वारा एंटीबॉडी की खोज कर ली गई है, यह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकती है। खास बात यह है कि एंडीबॉडी कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन पर प्रहार करती है। यह उसे ब्लॉक करती है। इससे कोरोना शरीर में संक्रमण नहीं फैला पाता।

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नीदरलैंड्स के वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना वायरस शरीर में स्पाइक प्रोटीन से कोशिकाओं पर प्रभाव डालता है। संक्रमित होने के बाद वायरस स्पाइक प्रोटीन को बढ़ाता है, इससे संक्रमित व्यक्ति की हालत नाजुक होती जाती है। एंटीबॉडी को चूहों पर प्रयोग कर बनाया गया है।

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3- इटली में तैयार हुई एंटीबॉडी:
इससे पहले इटली ने भी एंटीबॉडी विकसित करने का दावा किया है। यहां सरकार ने दावा किया है कि जिस वैक्सीन को बनाया गया है, वह मानव कोशिका में मौजूद कोरोना वायरस को खत्म कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रोम की संक्रामक बीमारी से जुड़े स्पालनजानी हॉस्पिटल में टेस्ट किया गया है और चूहे में एंटी बॉडीज तैयार किया गया। इसका प्रयोग फिर इंसान पर किया गया और इसने अपना असर दिखाया।

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रोम के लजारो स्पालनजानी नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर इन्फेक्शन डिजीज के शोधकर्ताओं ने कहा कि जब इसका इस्तेमाल इंसानों पर किया गया तो देखा गया कि इसने कोशिका में मौजूद वायरस को खत्म कर दिया। यह यूरोप का पहला अस्पताल है जिसने कोविड-19 के जीनोम सीक्वंस को आइसोलेट किया था।

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4- इजरायल ने भी किया है दावा 
इससे पहले इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्‍नेट ने दावा किया कि उनके देश के डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्‍टीट्यूट ने कोरोना वायरस का टीका बना लिया है। उन्‍होंने कहा कि इंस्‍टीट्यूट ने कोरोना वायरस के एंटीबॉडी को तैयार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। रक्षा मंत्री बेन्‍नेट ने बताया कि कोरोना वायरस वैक्‍सीन के व‍िकास का चरण अ‍ब पूरा हो गया है और शोधकर्ता इसके पेटेंट और व्‍यापक पैमाने पर उत्‍पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं।

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5- एम RNA वैक्सीन: अमेरिका की मॉडर्ना थेराप्युटिक्स बायोटेक्नोलॉजी कंपनी कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटी हुई है। कंपनी का मकसद है कि ऐसी वैक्सीन बनाई जाए, जो लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगी। इससे कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर को लड़ने की क्षमता मिलेगी और व्यक्ति कोरोना को हरा सकेगा। इस वैक्सीन के ट्रायल के लिए अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने फंडिंग भी दी है। यह वैक्सीन मैसेंजर आरएनए पर आधारित है। वैज्ञानिकों ने जेनेटिक कोड तैयार किया है, इसका छोटा सा हिस्सा इंसान के शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कामयाब होंगे। 

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6- INO-4800 वैक्सीन: अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है। कोरोना के खिलाफ जंग में एक और अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी जुटी है। कंपनी की रणनीति है कि वह ऐसा वैक्सीन बनाए, जिससे मरीज की कोशिकाओं में प्लाज्मिड के जरिए डीएनए इंजेक्ट किया जाए। इससे मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाएगा, जो कोरोना से लड़ने में सक्षम होंगी। 

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7- AD5-nCoV वैक्सीन
चीन की बायोटेक कंपनी कैंसिनों ने कोरोना की वैक्सीन का 16 मार्च को ट्रायल शुरू किया है। इस वैक्सीन को बनाने के लिए कैंसिनो कंपनी के साथ चीन की एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंस और इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी मिलकर काम कर रहे हैं। इस वैक्सीन में एडेनोवायरस के वर्जन का इस्तेमाल किया जा रहा है। एडेनोवायरस ही हमारी आंख, फेफड़ों, आंतों और नर्वस सिस्टम में संक्रमण का कारण बनते हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस वैक्सीन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी और कोरोना को हराने की शक्ति मिलेगी।

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8- LV SMENP DC वैक्सीन
इसी तरह से चीन के शेंजेन में जीनोइम्यून मेडिकल इंस्टीट्यूट में ह्यूमन वैक्सीन को बनाया जा रहा है। यह एचआईवी जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार लेंटीवायरस से तैयार की गई उन सहायक कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इससे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। 

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9- ChAdOx1 वैक्सीन
ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट में एक वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसे ChAdOx1 नाम दिया गया है। 23 अप्रैल को इसका ट्रायल शुरू हुआ है। इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिक चीनी कंपनी कैंसिनो बायोलॉजिक्स वाले फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वैक्सीन से प्रोटीन प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय होगी। 
 

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10-अमेरिका ने रेमडेसिवीर को माना मददगार
अमेरिका में इबोला वायरस के मरीजों के लिए बनाई गई रेमडेसिवीर दवा कोरोना के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हुई है। इसके साथ ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिका में जिन लोगों को रेमेडेसिविर दवा दी गई उन्हें औसतन 11 दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इससे पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के एंथनी फॉसी ने बताया था कि यह दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कारगर होगी।
 

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दुनिया में 115 जगहों पर हो रही वैक्सीन की खोज
दुनिया में अब तक 6 जगहों पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रॉयल चल रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन में इंसानों पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। वहीं चीन ने भी वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रॉयल शुरू कर दिया है। जबकि दुनिया में 115 जगहों पर वैक्सीन की खोज हो रही है। हालांकि ये माना जा रहा है कि वैक्सीन बनने में एक से डेढ़ साल का वक्त लग सकता है।

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