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भूख ने पूरे देश को बना दिया लुटेरा; मदद के लिए पहुंचे अनाज के गोदामें पर टूट पड़े लोग, shocking pictures
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25 अक्टूबर में सूडान में तख्तापलट के बाद पूरा देश हिंसा की चपेट में है। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को सूडान में 11वां सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ।
सूडानी डॉक्टरों की केंद्रीय समिति ने बताया कि अक्टूबर से अब तक सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों में 53 लोगों की मौत हो चुकी है।
सूडान पहले से ही सूखे से जूझ रहा है, ऐसे में खाद्यान की कमी ने लोगों को उग्र कर दिया है। इससे पहले 2003 में पूर्व राष्ट्रपति उमर अल बशीर के नेतृत्व में हुए संघर्ष में सैकड़ों लोग मारे गए थे।
सूडान में अशांति ने अल्पसंख्यक जातीय विद्रोह को बढ़ा दिया है। इन लोगों ने तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल बशीर की अरब प्रभुत्व वाली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। बता दें कि बशीर दारफुल में हुए नरसंहार में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय(International Criminal Court ) में वांछित हैं। उन्हें अप्रैल 2019 में जन आंदोलन के बाद जेल में डाल दिया गया था। फोटो क्रेडिट- Reuters Africa
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) के मुताबिक हिंसा के चलते हजारों लोगों को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यह हिंसा तब हुई है, जब 25 अक्टूबर को सैन्य प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान के नेतृत्व में तख्तापलट किया गया।
पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस(Antonio Guterres) ने लूटपाट की निंदा की करते हुए एल फाशर(El Fasher) में संयुक्त राष्ट्र के एक पूर्व रसद अड्डे के पास हिंसा की सूचना दी थी। जिसे कुछ दिनों पहले स्थानीय अधिकारियों को सौंप दिया गया था।
मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार अगले साल 14 मिलियन से अधिक सूडानी लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी, जो एक दशक में सबसे अधिक है।
सूडान दुनिया के सबसे गरीब देशों में शुमार है। यहां 20 लाख से अधिक लोग सोने की खदानों में काम करते हैं। हालांकि ये खदाने सुरक्षित नहीं हैं। यहां से बेहद जटिल हालात में खदानों से सोना निकाला जाता है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2020 में यहां से 36.6 टन सोना निकाला गया। यह पूरे महाद्वीप में मिले सोने का दूसरा सबसे अधिक था।