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सोमनाथ मंदिर तोड़ने वाले क्रूर शासक महमूद गजनवी की कब्र पर पहुंचे Taliban लीडर ने कही ये चौंकाने वाली बात
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1026 में दुनिया के सबसे क्रूर शासक रहे महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था। इस दौरान उसने सोमनाथ मंदिर को भी लूटा था। उसे ढहा दिया था। तब गजनवी ने 3 दिन में 50000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। ये लोग उस समय मंदिर में पूजा-अर्चना करने जुटे थे
(गजनवी की कब्र पर अनस हक्कानी)
महमूद गजनवी की कब्र पर पहुंचे Taliban लीडर अनस हक्कानी (Anas Haqqani) ने tweet किया-आज हमने 10वीं सदी के मुस्लिम यौद्धा और मुजाहिद महमूद गजनवी की दरगाह का दौरा किया। गजनवी ने एक मजबूत मुस्लिम शासन स्थापित किया। उसने सोमनाथ की मूर्ति तोड़ी थी। गजनवी राजवंश के गजनी से इस क्षेत्र में मजबूत मुस्लिम शासन स्थापित किया और सोमनाथ की मूर्ति को तोड़ दिया। ये सम्मान हमें स्वतंत्रता, गर्व और साहस से प्रेरित करते हैं।
(गजनवी की कब्र पर अनस हक्कानी)
बता दें कि ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर सोमनाथ मंदिर का निर्माण ईसा के पूर्व अस्तित्व में आया था। हालांकि सही तरीके से इसका निर्माण 7वीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने कराया। लेकिन 8वीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इस पर हमला किया। इसके बाद नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका फिर से निर्माण कराया। इसके बाद राजा राजा भोज और गुजरात के राजा भीमदेव ने इसकी दुबारा मरम्मत कराई। 1169 में नये सिरे से यह मंदिर तैयार हुआ।
(गजनवी की कब्र पर अनस हक्कानी)
सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग को 1300 में अलाउद्दीन की सेना ने खंडित किया। नये भारत में सौराष्ट्र के पूर्व राजा दिग्विजय सिंह ने 8 मई, 1950 को मंदिर के नये निर्माण की आधारशिला रखी। इसके बाद 11 मई, 1951 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसमें ज्योतिर्लिंग स्थापित कराया।
(गजनवी की कब्र पर अनस हक्कानी)
सोमनाथ पर मुगलकाल में यानी 1706 में ओरंगजेब ने भी हमला किया था। मौजूदा मंदिर पर 1250 कलश लगे हुए हैं। हर कलश औसतन 3 किलो वजन का है। वर्तमान मंदिर की ऊंचाई लगभग 155 फीट है।
(यह तस्वीर महमूद गजनवी की है)
हाल में हुए एक नये सर्वे में सामने आया है कि सोमनाथ मंदिर के नीचे L शेप की तीन मंजिला इमारत है। आखिर इसमें क्या है और इसे क्यों बनवाया गया था, इस पर रिसर्च चल रही है।
सोमनाथ एक ऐतिहासिक सूर्य मंदिर है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। माना जाता है कि इसका निर्माण खुद चंद्रदेव ने कराया था।मंदिर के पास ही दिग्विजय द्वार से कुछ दूर सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टेच्यू और आसपास बौद्ध गुफाएं हैं।