- Home
- World News
- कोरोना बदल रहा है अपना रूप, क्या इससे वैक्सीन और दवा पर की जा रही मेहनत बेकार हो जाएगी?
कोरोना बदल रहा है अपना रूप, क्या इससे वैक्सीन और दवा पर की जा रही मेहनत बेकार हो जाएगी?
- FB
- TW
- Linkdin
सबसे पहले जान लेते हैं कि कोरोना अपना रूप क्यों बदल रहा है? दरअसल, वुहान में जिस पहले व्यक्ति से कोरोना फैलने की बात कही जा रही है, जरूरी नहीं है कि उसी वायरस ने पूरी दुनिया में संक्रमण फैला दिया। दूसरे वायरसों की तरह ही सार्स कोव 2 के पास भी अलग-अलग वर्जन में बदलने की क्षमता है।
वायरस ऐसा म्यूटेशन के कारण कर पाते हैं। मलेशिया में कोरोना वायरस के म्यूटेशन से पैदा हुआ एक खास तरह का स्ट्रेन चिंता का विषय बन गया है। सवाल उठता है कि कोरोना वायरस से स्ट्रेन कैसे पैदा हो रहे हैं और क्या नए-नए स्ट्रेन से खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है।
मलेशिया में फैला वायरस जिस स्ट्रेन का है वह सबसे पहले फरवरी में यूरोप में पाया गया था। डी614जी नाम से जाना जाने वाला यह स्ट्रेन ही अब दुनियाभर में व्यापक रूप से पाया जा रहा है। सरल शब्दों में कहें तो यह स्ट्रेन डी और जी नाम के अमिनो एसिड्स के बीच बदलता है।
वुहान में शुरुआती दिनों में जो कोरोना वायरस के नमूने मिले वह डी वरायटी के थे। रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च महीने तक 90 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों को इसी वराइटी के कोरोना वायरस ने संक्रमित किया। लेकिन इसके बाद जी वराइटी का प्रभाव बढ़ने लगा। अब जी वराइटी का कोरोना दुनिया के 97 प्रतिशत लोगों को संक्रमित कर चुका है।
एक रिसर्च में सामने आया है कि कोरोना वायरस कम से कम छह स्ट्रेन में पाया गया। अभी जी स्ट्रेन से लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। बता दें कि दो स्ट्रेनों को अलग तभी माना जाता है जब वो इंसानों के इम्यून सिस्टम को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करें।
अब सवाल उठता है कि कोरोना के अलग-अलग रूप क्या वैक्सीन के प्रभाव को खत्म कर देंगे? एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन विकसिन करने में जुटे वैज्ञानिकों के लिए अच्छी खबर है कि वायरस की संरचना को बदलने की क्षमता वाले म्युटेशन उनके प्रभाव को भी घटा रहे हैं। ऐसे में वैक्सीन का प्रभाव कम नहीं होगा।