सार
नए शोध के अनुसार साल 2019 में ब्राजील में करीब 57,000 लोगों की मौत अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के खाने से जुड़ी थी। मतलब अगर आप भी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के शौकीन हैं तो संभलने की जरूरत है क्योंकि नए शोध में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है।
हेल्थ डेस्क. बदलते दौर में हमारे खानपान में तेजी से परिवर्तन हुआ है। टाइम की कमी की वजह से हम हेल्थ पर फोकस नहीं कर पाते हैं। घर में खाना बनाने का वक्त नहीं होता है इसलिए पैकेटबंद खाना पर निर्भर होने लगे हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का सेवन बढ़ गया है। लेकिन हाल में हुए शोध में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को लेकर जो बातें सामने आई है उसे जानकर सावधान हो जाने की जरूरत है। शोध में सामने आया है कि पैकेटबंद फूड इंसान को मौत के करीब पहुंचा रही हैं। ब्राजील में 57,000 लोगों की मौत साल 2019में हुई और इन सबका कनेक्शन अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से जुड़ा था।
ब्राजील में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की वजह से उम्र से पहले हो रही मौत
शोध के दौरान मिले सबूत से पता चला है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जैसे हॉट डॉग, चिप्स, सोडा और आइसक्रीम जैसी चीजों के खाने से मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल से भी परे परिणाम हो सकते हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में सोमवार को प्रकाशित एक स्टडी में अनुमान लगाया है कि साल 2019 में, 30 से 69 वर्ष की आयु के लगभग 57,000 ब्राजीलियाई लोगों की मौत अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के सेवन के कारण हुई। यह उस आयु वर्ग के बीच ब्राजील में वार्षिक समय से पहले होने वाली मौतों का 10% से अधिक है।
इस आधार पर किया गया शोध
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी स्टडी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और तय वक्त से पहले मौत के अनुमान लगाने वाला पहला है। स्टडी में जिन लोगों ने सबसे ज्यादा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खाया उनकी मौत और जिन लोगों ने कम खाया उनकी मौत की तुलना की गई। इस मॉडल को ब्राजील की आबादी और ल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के खपत के स्तर पर लागू किया गया। वहां से, उन्होंने अनुमान लगाया कि समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या को रोका जा सकता था यदि 30 से 69 वर्ष की आयु के लोगों ने उस प्रकार का भोजन कम खाया होता। शोधकर्ताओं ने इस आयु वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) गैर-संचारी रोग से मृत्यु को उन उम्र में समय से पहले मानता है।
साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के न्यूट्रिशनिस्ट रिसर्चर और स्टडी के प्रमुख लेखक एडुआर्डो निल्सन ने कहा कि उनका मानना है कि यह बहुत संभावना है कि हार्ट रोक इन अकाल मौतों में योगदान दे रहा हो। डायबिटीज, कैंसर, मोटापा और क्रोनिक किडनी रोग भी इसमें भूमिका निभा सकते हैं।
पोषक तत्व से ज्यादा नमक, चीनी और तेल का होता है इस्तेमाल
जो खाद्य पदार्थ अल्ट्रा प्रोसेस्ड होते हैं उनमें अधिक चीनी, नमक और तेल मिलाया जाता है। उनमें पोषक तत्व कम और स्वाद, कलर समेत कई चीजें ज्यादा होती हैं। जैसे इंस्टेंट नूडल्स, फ्रोजन पिज्जा,स्टोर से खरीदे गए कुकीज आदि। निल्सन ने आगे कहा कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जो हर रोज के कैलोरी सेवन में सबसे ज्यादा योगदान दे रहा है वो हैं ब्रेड, केक और पाई हैं। इसके अलावा मक्खन, कुकीज, नमकीन, हैम, हॉट डॉग, हैम्बर्गर, पिज्जा और पेय पदार्थ है।
यूएस में और भी ज्यादा मौतों की आशंका
निल्सन और उनके सहयोगियों ने अनुमान लगाया कि यदि ब्राजील में सभी वयस्कों ने यह सुनिश्चित किया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड उनकी रोजना कैलोरी का 23% से कम होता है तो देश में प्रति वर्ष लगभग 20,000 कम अकाल मृत्यु हो सकती है। देश की एक चौथाई एडल्ट अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से अपने रोजना कैलोरी का 50 प्रतिशत प्राप्त करते हैं। वहीं यूएस में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड औसतन दैनिक कैलोरी का करीब 57% बनाता है। निल्सन का कहना है कि अमेरिका में और भी ज्यादा लोगों की मौत इससे जुड़ी हो सकती है।अगस्त के एक अध्ययन में पाया गया कि इटली में जो लोग बड़ी मात्रा में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते थे, उनमें मृत्यु का समग्र जोखिम अधिक था।
ताजे फल और सब्जी को डाइट में करें शामिल
उन्होंने कहा कि आदर्श रूप से लोगों को अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को ताजे फल और सब्जी से अदला-बदली करनी चाहिए। हालांकि कुछ अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड हानिकारक नहीं हैं जैसे होल ग्रेन ब्रेड, होल ग्रेन ब्रेकफास्ट सीरियल्स। ये डायटरी फाइबर के भी स्रोत हैं, जो हार्ट डिजीज या कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
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