सार

नए साल (NEw Year 2022) की मस्ती में लोग डूबने की तैयारी कर रहे हैं। बस चंद दिनों बाद हम साल 2022 को अलविदा कहने जा रहे हैं। ज्यादातर लोग नए साल का जश्न शराब में डूबकर मनाते हैं। इसमें महिलाएं भी शामिल होती हैं। लेकिन अगर महिला प्रेग्नेंट हो तो उसे भूलकर भी शराब को टच नहीं करना चाहिए। नए रिसर्च में दावा किया गया है एक पेग भी गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।

हेल्थ डेस्क. गर्भावस्था के दौरान एक महिला को कई तरह की सावधानियों बरतनी होती है। लेकिन कभी-कभी उत्साह में वो कुछ गलतियां कर बैठती हैं। नए साल का जश्न शुरू होने वाला है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। महिलाओं को लगता है कि एक पेग में कोई नुकसान नहीं हैं। लेकिन ये भूल उन्हें बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। नए  शोध में सामने आया है कि शराब का एक पेग भी गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।

क्या कहती है रिसर्च 

ऑट्रिया के विएना स्थित यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान शराब की थोड़ी सी मात्रा बच्चे के मस्तिष्क की संरचना को बदल सकती है। ब्रेन ग्रोथ पर असर डाल सकती है।रिसर्च यूनिवर्सिटी के बायोमेडिकल इमेजिंग डिपार्टमेंट में रेडियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के लेखक ग्रेगर कैस्प्रियन ने बताया कि हमारे शोध में सामने आया है कि कम या अधिक शराब पीने से गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे की ब्रेन संरचना में बदलाव हो सकात है। इसके लिए हमने भ्रूण एमआरआई की मदद ली, जो एक खास और सुरक्षित जांच प्रणालि है। एमआरआई हमें बच्चे के जन्म से पहले उसके ब्रेन की परिपक्वता का सटीक अनुमान लगाने में हेल्प करती है।

बच्चे का नेचर हो जाता है आक्रमक

ग्रेगर कैस्प्रियन ने आगे बताया कि शराब गर्भ में पल रहे बच्चे में कई तरह के विकार पैदा कर सकता है। जिसे फीटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर कहते हैं। बच्चा जब गर्भ से बाहर निकलता है तो उसके ब्रेन ग्रोथ पर असर दिखता है। उसके सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। इतना ही नहीं उसके व्यवहार और बोलने में समस्या आती है। बच्चे का व्यवहार दूसरे बच्चों की तुलना में ज्यादा आक्रामक हो जाता है। माता-पिता या किसी और के टोकने पर बच्चे बहुत एग्रेसिव हो जाते हैं। वो किसी से जल्दी घुल मिल नहीं पाते हैं।

रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

इस शोध के लिए  24 भ्रूणों की एमआरआई जांच का विश्लेषण किया था, जिनकी मांओं ने शराब का सेवन किया था और आशंका थी कि उनके बच्चे पर इसका गलत असर होगा। ये सभी भ्रूण 22 से 36 सप्ताह के बीच के थे। शोधकर्ताओं की टीम ने अपने आकलने के लिए बच्चे की मांओं से गर्भावस्था के दौरान उनके शराब के सेवन से जुड़ी इन्फॉर्मेशन भी लिया।शोध में पाया गया कि शराब के संपर्क में आने वाले भ्रूणों का कुल परिपक्वता स्कोर (FTMS) काफी कम था। बता दें कि FTMS दिमाग की मैच्योरिटी की गणना करे का सिस्टम है। मतलब बच्चे के दिमाग का ओवरओल ग्रोथ कितना है। शराब पीने वाली मांओं के बच्चों में देखा गया कि उनके मस्तिष्क के एक हिस्से जिसे सुपीरियर टेम्पोरल सलक्स (STS) कहा जाता है उसका भी ठीक से विकास नहीं हुआ था। दिमाग का यही हिस्सा देखने-सुनने, एकाग्रता और सामाजिक अनुभूति में ताकत पैदा करती है।

इस शोध से जुड़े  पैट्रिक कियानास्ट ने कहा कि कई गर्भवती महिलाएं भ्रूण पर पड़ने वाले शराब के प्रभाव को लेकर ज्यादा जागरूक नहीं होती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हमारा मकसद भ्रूण पर शराब के प्रभाव के बारे में लोगों को बताने के साथ-साथ लोगों को जागरूक करना भी है। 

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