सार

झारखंड में मासूमों के साथ हुए आत्याचार का मामला सामने आया है, जहां उनकों काम कराने का बहाना लगाकर केरल ले जाया गया। फिर उन्हे वहां बंधक बना लिया। घरवालों के 32 हजार रुपए देने के बाद छोड़ा, बिना टिकट लौटे घर लौटे नाबालिग।

दुमका. झारखंड के दुमका जिलें के दो नाबालिगों को रोजगार का झांसा देकर एक महिला अपने साथ केरल ले गई। वहां उन्हें बंधुआ मजदूर बना कर रखा। जानकारी मिलने पर परिजनों ने अपने बच्चों को वापस भेजने की बात कही तो महिला ने बच्चों को छोड़ने के एवज में उनसे 36 हजार रुपए मांगे। इसके बाद परिजनों ने किसी तरह से 32 हजार रुपए महिला को ऑनलाइन पेमेंट किया, तब जाकर गुमला के दोनों नाबालिगो को छोड़ा गया।
यह है मामला
लौंग इलायची तोड़वाने और इसके बदले 15 हजार रुपए प्रति माह देने का झांस देकर दुमका शहर के दो नाबालिग लड़कों को एक महिला अपने साथ केरल ले गयी। वहां जाने के बाद दोनों नाबालिगों को बंधक बनाकर रखा गया। उनसे चौका-बरतन का काम करवाया जाने लगा। जानकारी मिलने पर जब घरवालों ने बच्चों को वापस भेजने का दबाव बनाया तो महिला ने बदले में 36000 रुपये की मांग की। इनमें से एक के परिजन ने जब ऑनलाइन 32000 रुपयों का भुगतान किया तब कहीं जाकर बच्चों को मुक्त किया गया। इनमें से एक बालक घायल है जिसके पैर में जख्म है।  

नाबालिग के मां ने बताया... पैसे देने के बाद बेटे को केरल एक स्टेशन पर छोड़ा
17 वर्षीय बालक की मां ने बपने बयान में बताया- 26 जून को हरणाकुण्डी इलाके में रहने वाली 60 वर्षीय सुशीला देवी बिना बताये उसके बेटे को काम करने के लिए अपने साथ केरल ले गयी थी। 30 जून को बेटे ने फोन कर बताया कि उसे वहां बंद कर रखा गया है और 36000 रुपये देने पर ही उसे छोड़ा जायेगा। 05 जुलाई को उसने 32000 रुपये ऑनलाइन पे किया तो उसी दिन बेटे को केरल के एक रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया गया। दूसरे बालक को भी छोड़ दिया गया। दोनों बिना टिकट ट्रेन में सवार होकर 09 जुलाई को दुमका पहुंचे। 17 वर्षीय बालक ने अपने बयान में यह भी बताया कि जब उन्हें बस में बैठाकर ले जाया जा रहा था तो दुमका जिला की सीमा खत्म होने पर पुलिस ने बस को रोक कर पूछताछ की तो महिला ने बताया कि बालकों को वह लौंग, इलाइची तोड़ने का काम देने के लिए केरल ले जा रही है, बावजूद इसके पुलिस ने बस को जाने दिया। 

बाल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट ने दोनों का लिया बयान
मंगलवार को वार्ड सदस्य पंकज कुमार ने इनमें से एक 17 वर्षीय बालक को बाल कल्याण समिति के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया जबकि दूसरे 12 वर्षीय बालक को उसकी मां ने प्रस्तुत किया। चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने दोनों बालकों एवं उनके अभिभावकों का बयान लिया। समिति ने दोनों बालकों को सीएनसीपी घोषित करते हुए उनके अभिभावकों को दुमका नगर थाना परिसर में स्थित एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (आहतू) थाना में इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाने को कहा है। दोनों बालकों को उनके अभिभावकों के साथ घर भेज दिया गया है।

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