सार

झारखंड में राजनीतिक उठा पटक के बीच महागठबंधन के प्रतिनिधि मंडल ने गुरुवार 1 सितंबर के दिन राज्यपाल रमेश बैस से शाम 4 बजे मुलाकात की।करीब आधे घंटे तक हुई बात। इसके बाद उन्होंने विधानसभा सदस्यता पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। 

रांची (झारखंड): झारखंड में जारी सियासी उथल पुथल के बीच देश में बनी सरकार के  महागठबंध का एक प्रतिनिधि मंडल गुरुवार 1 सितंबर के दिन राज्यपाल रमेश बैस से मिलने गया। करीब आधा घंटा तक राज्यपाल से महागठबंधन के नेताओं की बात हुई। राज्यपाल को एक ज्ञापन भी नेताओं ने सौंपा। प्रतिनिनिधि मंडल में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, सांसद गीता कोड़ा, राज्यसभा सांसद धीरज साहू, झामुमो के विजय हांसदा, महुआ मांझी आदि शामिल थे। नेताओं ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर कर सीएम की विधायकी पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। जानकारी हो महागठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा था। 4 बजे उन्हें समय दिया गया था। राज्यपाल से मिलने के बाद सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि  राज्यपाल ने दो-तीन दिनों के भीतर अपना फैसला चुनाव आयोग को भेजने को कहा है। 

जल्द ही शुरु होगी कैबिनेट की बैठक
इधर, सीएम हेमंत सोरेन थोड़ी देर में ही कैबिनेट की बैठक करने वाले हैं। बैठक में राजभवन पर दवाब बनाने के लिए सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है। कैबिनेट की बैठक में शामिल होने के लिए रायपुर से चार मंत्री भी रांची आ चुके हैं। कैबिनेट की मीटिंग के बाद सीएम और बाकी के मंत्री रायपुर रवाना हो सकते हैं। प्रदेश में हॉर्स ट्रेडिंग जैसी स्थिति न हो इसके लिए मौजूदा सरकार ने महागठबंधन के कई विधायकों को रायपुर के मेफेयर रिसोर्ट में नजरबंद किया गया है।

महागठबंधन ने ज्ञापन में ये लिखा 
राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में महागठबंधन के नेताओं द्वारा कहा गया है जैसा आपको ज्ञात होगा कि स्थानीय, राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा 25 अगस्त 2022 से महामहिम के कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए व्यापाक रुप से यह प्रकाशित किया जा रहा है कि भारत के सविंधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से बरहेट विधनसभा क्षेत्र के विधायक हेमंत सोरेन जी और वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री को भारत के संविधान के अनुच्छेद 192(1) के तहत जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 9-ए के तहत अयोग्य घोषित करने संबंधी पर महामहिम के कार्यालय को प्राप्त हुआ है। इस तरह की खबरों को मीडिया में सनसनीखेज बनाया जा रहा है। जिससे बहुत सारी अनिश्चितता पैदा हो रही है और अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है।  इन सभी समाचारों का महामहिम के कार्यालय से लीक होने की सूचना दी जा रही है और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय एक संवैधानिक कार्यालय है और जनता की नजरों में इसके प्रति अत्यंत  सम्मान रहता है।  तथा महामहिम के कार्यालय से झूठी खबरों का निकलना भी सच माना जाता है। ऐसे में महामहिम के कार्यालय से झूठी अफवाह का प्रसारित होना राज्य में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा कर राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित कर रहा है। यह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है।  इसके अलावा अन्य बातें ज्ञापन में लिखी गई हैं।

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