सार
ज्योतिष शास्त्र में गुरु को शुभ ग्रह माना गया है। यह ज्ञान और भाग्य का कारक है।
उज्जैन. कुछ विद्वानों ने गुरु को धन का कारक भी कहा है। गुरु का संबंध नौकरी व रोजगार के भाव यानी दसवें भाव से हो तो बहुत शुभ रहता है।
गुरु से संबंधित धन लाभ देने वाले क्षेत्र
- शिक्षा और शिक्षण संस्थाओं से संबंधित काम गुरु ग्रह से संबंधित हैं। गुरु ग्रह ज्ञान और विद्या का भी स्वामी है।
- साथ ही, फाइनेंस से जुड़े क्षेत्र जैसे बैंक, शेयर मार्केट, धन लेन-देन का काम भी गुरु से प्रभावित होता है।
- कुंडली के दसवें भाव में यदि ये शुभ है तो व्यक्ति ऊंचा पद प्राप्त कर सकता है।
- अगर कुंडली में गुरु उच्च राशि में है या मित्र राशि में है या स्वराशि में बैठा है तो व्यक्ति जहां भी काम करेगा, अपने विभाग में उच्च पद तक जा सकता है।
- आजीविका भाव यानी दसवें भाव में गुरु के साथ अन्य ग्रह होने पर शुभ-अशुभ असर कम-ज्यादा हो सकते हैं।
गुरु और सूर्य का संबंध
गुरु व सूर्य का संबंध है तो आपको सरकारी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्ति हेतु प्रयास करना चाहिए। अगर व्यक्ति कानून विषय में शिक्षा ग्रहण करेगा तो जज या सरकारी वकील बन सकता है। राजनीति में रुचि होने पर व्यक्ति इस क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।
गुरु और चंद्र का संबंध
दसवें भाव में स्थित गुरु का संबंध अगर चंद्र से है तो व्यवसायिक क्षेत्रों में सफलता मिल सकती है। मिठाइयों का व्यवसाय, दूध और दूध से बने पदार्थों का व्यवसाय, खेती से संबंधित काम में लाभ मिल सकता है। अगर व्यक्ति व्यवसाय की बजाय नौकरी करता है तो सरकारी नौकरी मिलने की संभावनाएं रहती हैं।
गुरु और मंगल का संबंध
दशम भाव में गुरु और मंगल का संबंध हो तो व्यक्ति ज्ञान के साथ ही ऊर्जा और शक्ति भी प्राप्त करता है। इस योग से व्यक्ति सेना में अधिकारी बन सकता है। पुलिस, रेलवे में काम करने पर व्यक्ति इन क्षेत्रों में भी अधिकारी बन सकता है।