सार

चुनाव में हर तरह के रंग देखने को मिलते हैं। कहीं खुशियों के, तो कहीं लड़ाई-झगड़े के भी। यह मामला दिलचस्प है। केरल में एक विधानसभा सीट है कायमकुलम। यहां से कांग्रेस ने 27 साल की अरिथा बाबू को मैदान में उतारा था। अरिथा को उम्मीद नहीं थी कि वे इलेक्शन लड़ेंगी। घर में तो उनकी शादी की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन फिर चुनाव के कारण फैमिली को उनकी शादी टालनी पड़ गई।

तिरुवनन्तपुरम. चुनाव में हर तरह के रंग देखने को मिलते हैं। कहीं खुशियों के, तो कहीं लड़ाई-झगड़े के भी। यह मामला दिलचस्प है। केरल में एक विधानसभा सीट है कायमकुलम। यहां से कांग्रेस ने 27 साल की अरिथा बाबू को मैदान में उतारा था। अरिथा को उम्मीद नहीं थी कि वे इलेक्शन लड़ेंगी। घर में तो उनकी शादी की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन फिर चुनाव के कारण फैमिली को उनकी शादी टालनी पड़ गई। हालांकि सब खुश थे, क्योंकि अरिथा MLA का चुनाव जो लड़ रही थीं। कांग्रेस  ने अरिथा को राजनीति का रोल मॉडल बताकर प्रमोट किया। वजह भी सही है। अरिथा के परिजन दूध बेचते हैं। परिवार बेहद साधारण है। अरिथा के पिता को हार्ट की बीमारी है। लिहाजा अरिथा को ही घर की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है।

 

ऐसी हैं अरिथा बाबू..

  • अरिथा को पिता तुलसीधरण की बीमारी का पता तब चला, जब वे कॉलेज में पढ़ रही थीं। वे अपने कॉलेज की छात्र राजनीति का अहम हिस्सा थीं। अरिथा ने हिम्मत नहीं छोड़ी। वे पढ़ाई, छात्र पॉलिटिक्स और घर की जिम्मेदारियां तीनों संभालती रहीं।
  • परिवार का खर्च चलाने अरिथा ने गायें पालीं। वे रोज सुबह 4 बजे उठती हैं। गायों को चारा-पानी डालकर दूध निकालती हैं। फिर 15 घरों में दूध पहुंचाकर बाकी काम करती हैं। लेकिन चुनाव में उन पर डबल जिम्मेदारी थी।
  • अरिथा को नहीं मालूम था कि उन्हें टिकट मिल जाएगा। कांग्रेस उन्हें युवाओं का रोल मॉडल मानकर प्रमोट करती रही। जब उनकी शादी की तैयारियां चल रही थीं, तभी उन्हें टिकट मिलने की खबर पता चली थी।
  • ताज्जुब की बात यह है कि अरिथा की मां ने शादी का शुभ मुहूर्त निकलवाया था। पंडितजी ने मार्च में ही अच्छा मुहूर्त बताया था। लेकिन अरिथा ने यह कहकर शादी टाल दी थी कि चुनाव भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। अरिथा इससे पहले जिला पंचायत प्रतिनिधि रह चुकी हैं।