सार

मुंबई के नरक कहे जाने वाले रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में जन्मीं एक लड़की ने अपने सपनों को पाने के लिए ऐसी उड़ान भरी कि आज उसे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ 25 प्रभावशाली महिलाओं में गिना जाता है।

लाइफस्टाइल डेस्क : हम कहां से आते हैं यह मायने नहीं रखता, बल्कि हम कहां तक जाते हैं यह मायने रखता है। आज हम आपको ऐसी ही लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं जो जन्मी तो मुंबई के नरक कहे जाने वाले रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा में, लेकिन पहुंची सीधे अमेरिका तक और यहां दुनिया की 25 श्रेष्ठ महिलाओं में से एक चुनी गई। यह लड़की आज सभी के लिए एक इंस्पिरेशन है और लोगों को प्रेरित करती है कि अगर पढ़ाई में ध्यान हो तो कहीं भी रहकर पढ़ा जा सकता है और माहौल का इस पर कोई असर नहीं पड़ता। तभी तो वह वेश्यावृत्ति करने वाली जगह पर रहकर भ उसने पढ़ाई से कभी अपना मन नहीं हटने दिया। तीन बार यौन शोषण भी हुआ उसके बावजूद उन्होंने यहां से निकल कर ऐसी उड़ान भरी के वह आज सभी के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

कौन है श्वेता कट्टी
यह है मुंबई की रहने वाली श्वेता कट्टी, जिसका जन्म मुंबई के कमाठीपुरा में हुआ था। कमाठीपुरा वही एरिया है जहां पर वेश्यावृत्ति होती है और यह एशिया का फेमस रेड लाइट एरिया माना जाता है। श्वेता का बचपन इन्हीं सेक्स वर्कर्स के बीच में बीता। वह तीन बहनों में सबसे छोटी बहन है। उनकी मां एक फैक्ट्री में काम किया करती थी जहां उनका वेतन महज 5500 रुपए था। श्वेता का एक सौतेला पिता था, जो हमेशा शराब के नशे में रहता था और घर में मारपीट झगड़े और सेक्स वर्कर का आना जाना लगा रहता था। लेकिन श्वेता की मां ने अपनी बेटी को इन सब से दूर रखा और पढ़ाई के लिए उसे प्रेरित किया। बेटी ने भी पढ़ लिख कर ऐसा नाम रोशन किया कि आज दुनिया भर में उसके कसीदे पढ़े जाते हैं।

बचपन में हुआ यौन शोषण 
श्वेता का बचपन किसी दर्दनाक सपने से कम नहीं रहा। वह बताती हैं कि बचपन में तीन बार उनका यौन शोषण हुआ। जब वह सिर्फ 9 साल की थी तो पास के रहने वाले एक शख्स ने उनके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की। इसके बाद दो बार उसके साथ और यौन शोषण हुआ। इतना ही नहीं श्वेता का रंग सांवला है और स्कूल में बच्चे उन्हें काला गोबर कहकर चिढ़ाया करते थे। लेकिन श्वेता ने इन सभी बातों को नजरअंदाज किया और अपने लिए नई राह चुनी।

18 साल की उम्र में मिली 28 लाख की स्कॉलरशिप
2012 में जब श्वेता 16 साल की थी तो उन्होंने क्रांति नामक एक एनजीओ ज्वाइन किया। यहीं से उनकी जिंदगी में नया मोड़ आया। उन्होंने इस एनजीओ के साथ जुड़ने के बाद खुद की काबिलियत पहचानी और अपने जैसी अन्य लड़कियों को भी प्रोत्साहन दिया। 12वीं करने के बाद श्वेता अच्छे कॉलेज की तलाश में थी। तब अमेरिका के विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र से उनकी बातचीत हुई। वह श्वेता की बातों से, उसके बैकग्राउंड से इतना प्रभावित हुआ कि उसने बार्ड कॉलेज में श्वेता के नाम की सिफारिश की। श्वेता की कहानी ने सभी का दिल छू लिया और उन्हें 28 लाख रुपए की स्कॉलरशिप दी गई।

2013 में बनी प्रभावशाली महिला
श्वेता के इन प्रयासों को देखते हुए अमेरिकी मैगजीन न्यूज़ वीक ने 2013 में उन्हें 25 साल की उम्र की उन महिलाओं की सूची में शामिल किया, जो समाज के लिए प्रेरणा बनीं। इस लिस्ट में 25 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिसमें श्वेता भी एक रहीं। आज श्वेता पूरी दुनिया में भारत और अपनी मां का नाम रोशन कर रही हैं।

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