सार

बच्चों में विकास में देरी, बार-बार दौरे पड़ना, खुद की देखभाल न कर पाना, पढ़ाई में पिछड़ना, सामाजिक रूप से अलग-थलग रहना और उम्र के हिसाब से व्यवहार न करना, बौद्धिक अक्षमता के संकेत हो सकते हैं। जल्द पहचान और उचित देखभाल ज़रूरी है।

यहां आपके बच्चे में बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability) के 6 शुरुआती लक्षण बताए गए हैं। अगर आपके बच्चों में ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो जल्द से जल्द किसी विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिक से सलाह लें और सुनिश्चित करें कि यह बौद्धिक अक्षमता है या किसी अन्य समस्या के कारण है।

आमतौर पर हम बुद्धि से तात्पर्य परिस्थितियों के अनुसार सोचने, समझने और कार्य करने की क्षमता से लगाते हैं। इन तीन क्षमताओं में आने वाले बदलाव ही बच्चों में बौद्धिक अक्षमता का कारण बनते हैं।

1) विकास में देरी (Developmental Delay) :-

एक बच्चा जन्म के चार महीने बाद गर्दन सीधी कर लेता है, आठ महीने तक चलना शुरू कर देता है और डेढ़ साल की उम्र तक अच्छी तरह दौड़ना, कूदना और बोलना सीख जाता है। अगर आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में इन चीजों को पूरा करने में देरी कर रहा है, तो यह बौद्धिक अक्षमता का संकेत हो सकता है। अगर तीन साल की उम्र के बाद भी आपके बच्चे के विकास में देरी हो रही है, तो आपको तुरंत एक मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए।

2) मस्तिष्क संक्रमण (Brain Infections):-

कुछ बच्चों को कम उम्र में बार-बार दौरे पड़ते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे बच्चों में बौद्धिक अक्षमता होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए, अगर आपके बच्चे को दौरे पड़ते हैं और उसके व्यवहार, कार्यों या परिपक्वता में कोई बदलाव दिखाई देता है, तो मनोवैज्ञानिक से सलाह लेना उचित है। इसी तरह, मेनिन्जाइटिस, ऑटिज्म, आनुवंशिक विकार, मल्टीपल डिसेबिलिटी, और जन्म के समय होने वाली विभिन्न जटिलताओं वाले बच्चों में बौद्धिक अक्षमता का खतरा अधिक होता है।

3) खुद की देखभाल न कर पाना (Poor Self Caring):-

सामान्य बच्चे छह साल की उम्र तक अपने काम खुद कर लेते हैं। शर्ट पहनना, शर्ट के बटन खुद लगाना, कपड़े उतारना, स्कूल बैग और खिलौने व्यवस्थित रखना, मोजे पहनना, जूते पहनना, बुनियादी काम बिना किसी की मदद के करना, और हम जो कहते हैं वो करना। अगर आपका बच्चा छह साल की उम्र के बाद भी अपने काम खुद नहीं कर पा रहा है, तो उस पर ध्यान देना और उचित उपचार करवाना जरूरी है।

4) पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं (Poor school performance):-

बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चे छह साल की उम्र के बाद भी खुद लिखने, पढ़ने या गणित (जोड़ना या घटाना) करने में अन्य बच्चों से पीछे रह जाते हैं। अगर दस साल की उम्र के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता है, तो बिना देर किए मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए।

5) लोगों से बातचीत न करना (Poor Social Interactions):- 

बौद्धिक अक्षमता वाले बच्चों के आमतौर पर कम दोस्त होते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर स्कूल से घर और घर से स्कूल की दिनचर्या में ही रहते हैं। ये बच्चे स्कूल में अपने सहपाठियों से बातचीत नहीं करते और अलग-थलग रहते हैं। परिवार के किसी कार्यक्रम में भाग लेने पर भी, वे अपने हमउम्र बच्चों के साथ घुलने-मिलने और खेलने में असमर्थ होते हैं। ऐसे बच्चों के माता-पिता को उन्हें ध्यान से देखना चाहिए और उचित उपचार और देखभाल प्रदान करनी चाहिए।

6) उम्र के हिसाब से व्यवहार न करना (Poor Age Appropriate Behaviours) 

अगर आपका बच्चा अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में सीखने, सामाजिक व्यवहार, जिम्मेदारियां निभाने, निर्देशों का पालन करने और भावनाओं को व्यक्त करने में पिछड़ रहा है, तो यह बौद्धिक अक्षमता का संकेत हो सकता है।

भविष्य को ध्यान में रखते हुए, अगर आपके बच्चे के विकास, व्यवहार या कार्यों में डेढ़ साल की उम्र के बाद कोई असामान्यता दिखाई देती है, तो कारणों का पता लगाने और जल्दी इलाज शुरू करने के लिए मनोवैज्ञानिक से सलाह लेने में बिल्कुल भी देरी न करें।