सार
parental consent in a live-in relationship: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में माता-पिता की सहमति और रजिस्ट्रेशन अनिवार्य। इस नियम से रिश्तों में स्थिरता और अपराध की संभावना कम होगी।
रिलेशनशिप डेस्क: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू कर दिया गया है। इस कोड के तहत लिविंग रिलेशनशिप पूरी तरह सेबदल चुका है। अब तक लोग अपनी मर्जी से लिविंग रिलेशनशिप में रहते थे। लेकिन इस कोड के लागू हो जाने के बाद लिविंग रिलेशनशिप में रहने के लिए पेरेंट्स की सहमति भी बहुत जरूरी होगी। अगर बिना रजिस्ट्रार को बताए लिव-इन रिलेशनशिप में रहा जाता है तो ₹10000 तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। जानते हैं आखिर क्यों लिव-इन रिलेशनशिप में माता-पिता की सहमति जरूर होनी चाहिए।
माता-पिता का डर होता है कम
जब माता-पिता की सहमति के बिना बच्चे लिव-इन में रहना शुरू कर देते हैं तो पेरेंट्स के मन में एक डर बैठ जाता है। अगर माता-पिता की सहमति के साथ बच्चे साथ में रहेंगे आपसी झगड़े का खतरा कम हो जाएगा। कई बार तो पता ही नहीं होगा कि बच्चे आखिर रह कहां रहे हैं। ऐसे में असुरक्षा का भाव बढ़ जाता है।
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कम टूटेंगे लिव-इन रिश्तें
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स के मन में कई सारी बातें एक साथ आती हैं। उन्हें समाज में स्वीकार किया जाएगा या नहीं, या फिर पेरेंट्स उन्हें अपनाएंगे या नहीं। इस डर से निकलने के लिए पेरेंट्स की सहमति लेना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से कपल्स के बीच में तनाव नहीं रहेगा। साथ ही भविष्य में रिश्ता टीका रहने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
अपराध की संभावना होगी कम
रजिस्टार को जानकारी देने के बाद जब कपल्स लिव-इन में साथ रहेंगे तो अपराध की संभावना भी कम होगी। कई ऐसे केस सामने आ चुके हैं, जहां पर पार्टनर को बेदर्दी से मार दिया जाता है। ऐसे केसे में साथ में रहने वाले पार्टनर का पता नहीं चल पाता। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद ऐसी घटनाएं भी कम होंगी।
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