सार
कहते हैं कि जहां चाह-वहां राह! नामुमकिन कुछ भी नहीं है, बस दिमाग चलना चाहिए। इस बच्चे ने भी दिमाग दौड़ाकर देसी जुगाड़ से अपना ड्रीम पूरा कर लिया। 9वीं क्लास के इस बच्चे ने पापा से बाइक की डिमांड की थी। लेकिन पिता ने सुरक्षा की दृष्टि से उसे साइकिल दिला दी। बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया। हालांकि उसने साफ कहा कि वो इस बाइक को सिर्फ मोहल्ले में चलाएगा। ट्रैफिकवाली जगहों पर नहीं जाएगा।
भोपाल, मध्य प्रदेश. जरूरी नहीं कि महंगी चीजें ही काम की हों। लोग देसी जुगाड़ से भी नये-नये आविष्कार कर लेते हैं। ऐसी तमाम खबरें सामने आती रहती हैं, जिनमें लोगों ने देसी जुगाड़ के जरिये चौंकाने वाले आविष्कार किए। लेकिन यहां 9वीं क्लास के बच्चे ने देसी जुगाड़ से साइकिल को बाइक में बदल दिया। कहते हैं कि जहां चाह-वहां राह! नामुमकिन कुछ भी नहीं है, बस दिमाग चलना चाहिए। इस बच्चे ने भी दिमाग दौड़ाकर देसी जुगाड़ से अपना ड्रीम पूरा कर लिया। 9वीं क्लास के इस बच्चे ने पापा से बाइक की डिमांड की थी। लेकिन पिता ने सुरक्षा की दृष्टि से उसे साइकिल दिला दी। बच्चे ने लॉकडाउन में अपनी क्रियेटिविटी का सदुपयोग किया और साइकिल में ही इंजन लगाकर उसे बाइक में बदल दिया। हालांकि उसने साफ कहा कि वो इस बाइक को सिर्फ मोहल्ले में चलाएगा। ट्रैफिकवाली जगहों पर नहीं जाएगा। यह मामला नरसिंहगढ़ जिले के आमगांव बड़ा का है।
कबाड़ में पड़े इंजन का किया सदुपयोग
यह है अक्षय राजपूत। बच्चे की उम्र को देखते हुए पिता ने उसे बाइक की जगह साइकिल दिलाना उचित समझा। लेकिन अक्षय की इच्छा बाइक चलाने की थी। लिहाजा उसने लॉकडाउन में अपने हुनर का इस्तेमाल किया। उसने कबाड़ी से पुरानी चैम्प गाड़ी का इंजन खरीदा। इसके बाद कुछ दिनों की मेहनत से उसे साइकिल में फिट करके बाइक का रूप दे दिया। अक्षय के पिता बताते हैं कि उसे इस तरह के प्रयोग का शौक रहा है। इसी शौक की वजह से उसे कलेक्टर और विधानसभा अध्यक्ष ने सम्मानित किया था। अक्षय के पिता टेंट हाउस चलाते हैं। उन्होंने बताया कि अक्षय ने वादा किया कि वो इस बाइक को ट्रैफिक वाली जगहों पर नहीं ले जाएगा।
यहां बच्चों ने जुगाड़ से बना डाला POOL