सार

लोगों को लगता है कि युवक ने फर्जी आईडी बनवा रखी है। इसलिए कोई उस परे भरोसा नहीं करता। युवक के मुताबिक, बैंक वालों ने उसे लोन देने से मना कर दिया। यही नहीं, कोई भी मोबाइल कंपनी उसे सिम तक देने को राजी नहीं हुई।

इंदौर. वैसे तो कहा जाता है कि 'नाम में क्या रखा!' लेकिन यह बात जिस पे बीतती है, उससे पूछकर देखिए! मध्य प्रदेश के इंदौर के इसी नाम और सरनेम वाले एक युवक की पीड़ा भी जान लीजिए। युवक को इस नाम और सरनेम के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। आखिरकार उसने अपना सरनेम गांधी से मालवीय रख लिया। दरअसल, लोगों को लगता है कि युवक ने फर्जी आईडी बनवा रखी है। इसलिए कोई उस परे भरोसा नहीं करता। युवक के मुताबिक, बैंक वालों ने उसे लोन देने से मना कर दिया। यही नहीं, कोई भी मोबाइल कंपनी उसे सिम तक देने को राजी नहीं हुई।

 23 साल के राहुल गांधी (अब मालवीय) के पिता  राजेश कपड़ा व्यापारी हैं। वे पहले BSF में वॉटरमैन थे। वहां लोग उन्हें गांधी कहते थे। इसी के बाद पिता ने गांधी लिखना शुरू कर दिया। यह सरनेम उनके बेटों के नाम के साथ भी आ गया।
 
 राहुल ने बताया कि वो अपने भाई के नाम पर सारे बिल लेता था। क्योंकि कोई उसे राहुल गांधी नाम से बिल नहीं देता था। राहुल ने बताया कि अब उसने अपने सारे डाक्यमेंट्स लीगली मालवीय सरनेम के साथ बनवाना शुरू कर दिए हैं।